पुलिस की ईमानदारी ,बुजुर्ग को ढूंढ कर लौटाए बीस हजार रुपए

Gaurav Sharma
Updated on -
police returned lost 20k dewas

देवास,सोमेश उपाध्याय। अक्सर पुलिस की कार्यप्रणाली पर हमारे द्वारा पैसे के लेन-देन के आरोप लगाए जाते रहे है। परन्तु देवास शहर में आज पुलिस सिपाही की ईमानदारी की चर्चा हो रही है।

दरअसल मामला यह है कि आज देवास टेकरी स्थित बड़ी माता मंदिर परिसर में दर्शन हेतु पधारे 60 वर्षीय बुजुर्ग गंगाराम की जेब में रखे बिस हजार गिर गए जो ड्यूटी पर लगे नगर सैनिक क्रमांक 101 संतोष नेमा थाना बरोठा को मिले। सिपाही ने ईमानदारी का परिचय देते हुए ड्यूटी इंचार्ज उप पुलिस अधीक्षक राहुल खरे तथा निरीक्षक जे.आर. चौहान पुलिस लाइन देवास के सुपुर्द किए। फिर पुलिस कंट्रोल रूम के मार्फत वायरलेस द्वारा काल कराया गया और रुपए मालिक का पता लगवाया गया। फिर जानकारी लगने पर बुजुर्ग गंगाराम को पुलिस द्वरा बीस हजार सुपुर्द किए गए।

ये भी पढ़े- पुलिस स्मृति दिवस पर किया गया शहीद जवानों को याद, दी गई श्रद्धांजलि

नगर सैनिक संतोष नेमा द्वारा बड़ी रकम को इमानदारी पूर्वक फरियादी के सुपुर्द करना उनकी कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदारी का परिचय है। पुलिस ने पूरी घटना से कंट्रोल रूम देवास को भी अवगत कराया। शहर में नवरात्रि पर्व को लेकर उत्साह व्याप्त है। श्रधालुओ की आस्था कोरोना के डर पर भारी दिख रही है। लोग दूर दूर से देवास टेकरी पर दर्शन के लिए आ रहे है। हालांकि प्रशासनिक अमले द्वारा कोविड नियमों के पालन के साथ ही दर्शन सुविधा सुनिश्चित की गई है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News