Dwarkadhish Temple In MP: मध्य प्रदेश में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है, जहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। यहां कई सारे धार्मिक के ऐतिहासिक स्थल है, जहां हमेशा ही भीड़ देखी जाती है। आज हम आपको मध्य प्रदेश के रतलाम के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जो अपने स्वर्ण आभूषणों के लिए दूर-दूर तक पहचाना जाता है।
300 साल पुराने इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। आज हम आपको इस मंदिर के बारे में सारी जानकारी देते हैं और बताते हैं कि आखिरकार यहां पर ऐसा क्या है, जो ये जगह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है और बड़ी संख्या में भक्त यहां अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं।
Dwarkadhish Temple से जुड़े चमत्कार
रतलाम के निवासियों से जब भी द्वारकाधीश मंदिर के इतिहास और चमत्कार के बारे में पूछा जाता है, तो वो बड़े जी विश्वास के साथ सारी बातें बताते नजर आते हैं। जानकारी के मुताबिक रात को पूजन अर्चन के बाद भगवान को शयन करवा कर कपाट बंद कर दिए जाते थे। लेकिन अगले दिन सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते थे, तो यहां पर कुछ नहीं रहता था। प्रतिमा हर रोज उन संत के पास से मिला करती थी, जहां से इसे लाया गया था।
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के मुताबिक जो भक्त द्वारकाधीश के दर्शन करने के लिए गुजरात नहीं जा सकते हैं। अगर वो रतलाम के इस मंदिर के दर्शन कर लें तो उन्हें उतना ही पुण्य प्राप्त होता है। भगवान उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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मिठाई की दुकान पर पहुंचे भगवान
इस मंदिर से एक और दिलचस्प चमत्कार जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक भगवान को रोजाना कलीराम बा की मिठाई की दुकान से भोग के लिए पेड़े भेजे जाते थे। एक बार जब भोग मंदिर नहीं पहुंचा, तो भगवान वेश बदल कर यहां पहुंचे। उन्होंने दुकान से पेड़े ले लिए और जब उनसे पैसे मांगे गए तो, उनके पास पैसे नहीं थे। अब पेड़े के बदले में उन्होंने अपने हाथों के कंगन उतार कर दुकानदार को दे दिए।
काशीराम पालीवाल को ये बात स्वयं भगवान ने स्वप्न में आकर बताई और जब दूसरे दिन देखा गया तो प्रतिमा से कंगन गायब थे। अचानक कंगन गायब होने की बात से हड़कंप मच गया। इसके बाद पालीवाल ने भगवान के बताए मुताबिक जब हलवाई की दुकान पर जाकर देखा गया, तो कंगन वहीं से मिले। इसके बाद से उस दुकान के बंद हो जाने तक भोग वहीं से लाया जाता था।
भगवान को बांधने का दंड
इस मंदिर की सेवा पालीवाल परिवार द्वारा की जाती है। उन्हीं से मिली जानकारी के मुताबिक जब प्रतिमा हर बार गायब होने लगी, तो ये तय किया गया कि अभिमंत्रित करवा कर प्रतिमा को यहीं रोका जाएगा। इस बात से भगवान नाराज हो गए और काशीराम के सपने में आकर उन्हें कहा कि इस बात का दंड मिलेगा और तुम्हारा वंश 5 पीढ़ियों तक आगे नहीं बढ़ेगा। पालीवाल ने भगवान का दंड सहर्ष स्वीकार किया और ये कहा कि हम ही आपकी सेवा करते रहेंगे।
भगवान ने जो दंड दिया था, वैसा ही हुआ भी और कई वर्षों तक परिवार का वंश आगे नहीं बढ़ा। सालों बाद परिवार की एक लड़की के घर पर पुत्र का जन्म हुआ। इससे पहले तक गोद लिए पुत्रों ने ही भगवान की सेवा की है।
द्वारकाधीश मंदिर में हैं 7 द्वार
जिस तरह से गुजरात के द्वारिका मंदिर में 7 द्वार पार करने के बाद भगवान के दर्शन होते हैं। उसी तरह इस मंदिर में भी प्रतिमा सात द्वार के पार स्थापित है। भगवान से जुड़े सारे चमत्कारों को लोग आज भी मानते हैं और यहां पर सभी तरह की मन्नतें पूरी होती है।
अगर आप भी मध्य प्रदेश के निवासी हैं या फिर मध्य प्रदेश में घूमने का इन छुट्टियों में प्लान बना रहे हैं तो आपको रतलाम के इस द्वारकाधीश मंदिर दीदार जरूर करना चाहिए। जब आप यहां पहुंचेंगे तो मंदिर की अद्भुत संरचना और यहां स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति आपको हैरान कर देगी। स्थानीय लोगों से सुनी गई कहानी भी आपको इस जगह के बारे में हैरत में डाल देगी।