बैतूल, वाजिद खान। बैतूल (Betul district) मैं एक ऐसा मकान है जिसमें 88 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। असल में 88 साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बैतूल आए थे और इस मकान में रुके थे। मकान के मालिक गोठी परिवार ने बापू की स्मृतियों को सहेजने के लिए मकान में कोई बदलाव नहीं किया है, और यहां तक की जिस पलंग पर बापू सोए थे उसे और बापू के चरखे को भी संभाल के रखा है।
बैतूल के रमन गोठी एक ऐसे ही शख्स है जिन्होंने अपने लगभग डेढ़ सौ साल पुराने मकान को सिर्फ इसलिए तोड़ा, संवारा नहीं क्योंकि उस मकान में महात्मा गांधी रुके थे। सन् 1933 में हरिजन उद्धार कार्यक्रम के तहत बैतूल आये बापू सेठ जी के बगीचे के नाम से प्रसिद्ध इस मकान में अपने कार्यकर्त्ताओं के साथ ठहरे थे। यह बगीचा एक समय में देश मे आम की खास किस्मों के लिए पहचाना जाता रहा है। मकान में गांधी का रुकना रमन को इतना भाया की उन्होंने अपने पुराने मकान में सिर्फ इसलिए बदलाव नहीं किये की कहीं इससे गाँधीजी की स्मृतियां ओझल ना हो जाएं। यही नही उन्होंने गांधी जी के चरखे और उस विदेशी यूएसए मेड ब्लेड को भी संभाल कर रखा है जिससे बापू धागा काटा करते थे। यही वजह है कि अस्सी साल बाद भी गोठी का यह मकान वैसा ही है जैसा सन् 1933 में था।