त्योहारी मौसम में कितना चमका सोना और चांदी, जानिए भाव

Gaurav Sharma
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इंदौर ,डेस्क रिपोर्ट। देश भर में त्योहारी मौसम शुरु हो गया है। त्योहार शुरु होने के चलते बाजार में भी रौनक बढ़ गई है। बाजार में रौनक बढ़ने से कोरोना की चमक काफी फीकी हो गई है। हाल ही में गए नवरात्रि के त्योहार के बाद अब आने वाले दिवाली त्योहार के कारण लोगों द्वारा सोना खरीदा जा रहा है।

प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के सराफा बजार में सोने की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। जहां सोना में प्रति ग्राम 70 रूपए, वहीं चांदी की कीमत में 725 रुपए प्रति किलों उछाल आया है। बता दें कि सोना जहां ऊंचे में 52 हजार 500 रुपए है तो वहीं नीचे में 52 हजार 400 है।

वहीं अगर चांदी की बात की जाए तो चांदी ऊंचे में 62 हजार 300 रुपए है तो नीचे में उसकी कीमत 62 हजार 200 रुपए है। बिना जीएसटी के सोने का औसत भाव 52 हजार 450 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा तो वहीं चांदी प्रति किलो 62 हजार 250 रुपए रहा। बता दें कि चांदी का सिक्का प्रति नग 750 रुपए रहा। जहां शानिवार को चांदी 325 रुपए प्रति किलो बढ़ गई थी वहीं सोना 80 रुपए प्रति ग्राम था। चांदी का सिक्का प्रति नाग 10 रुपए महंगा रहा।

शनिवार को जहां सोना ऊंचे में 52 हजार 450 रुपए था तो वहीं नीचे में प्रति 10 ग्राम 52 हजार 300 रुपए रहा। बात करे चांदी की तो ऊंचे में चांदी प्रति किलो 61 हजार 600 रुपए रहा तो नीचे में 100 रुपए कम यानि 61 हजार 500 रुपए रहा। शानिवार को बिना जीएसटी के औसत दाम पर सोना प्रति 10 ग्राम 52 हजार 380 रुपए रहा तो चांदी प्रति किलो 61 हजार 525 रुपए रहा और चांदी का सिक्का प्रति नाग 750 रुपए रहा।

प्रदेश के रतलाम में सोना स्टैंडर्ड 52 हजार 500 रुपए और सोना रवा 52 हजार 450 रुपए, चांदी चौरसा 63 हजार रुपए, और टंच 63 हजार 100 रुपए है। वहीं शानिवार को सोना स्टैंडर्ड 52  हजार 375 रुपए और रवा 52 हजार 325 रुपए, चांदी चौरसा 62 हजार रुपए, और टंच 62 हजार 100 रुपए रहा। उज्जैन में चांदी पाट 62 हजार 500 रुपए, सोना रवा 52 हजार 600 रुपए, सोना स्टैंडर्ड 52 हजार 700 रुपए रहा। वहीं चांदी टंच 62 हजार 300 और सिक्का 700 रुपये प्रति नग रहा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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