Gwalior News: 1000 बिस्तर का अस्पताल विवादों में, नामकरण को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने सामने

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर में निर्माणाधीन 1000 बिस्तर का अस्पताल निर्माण से पहले ही विवादों में आ गया है। विवाद का कारण है ग्वालियर सांसद का वो पत्र जो उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा है। दरअसल ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर 1000 बिस्तर के अस्पताल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की मांग की है। सांसद के पत्र पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस का कहना है कि अस्पताल का नाम पहले ही माधव राव सिंधिया के नाम पर रखना तय हो गया है। खास बात ये है कि निर्माण एजेंसी के दस्तावेजों में भी 1000 बिस्तर के अस्पताल का नाम माधव राव सिंधिया के नाम पर ही बताया जा रहा है। लेकिन बड़ी बात ये है कि प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल से जुड़े नाम पर अनभिज्ञता जता रहे हैं।

गौरतलब है कि ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने दो दिन पहले 19 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर 1000 बिस्तर के निर्माणाधीन अस्पताल को लेकर एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कोरोना की संभावित तीसरी लहर से सफलतापूर्वक मुकाबला करने की तैयारी की दृष्टि से शीघ्र ही यहाँ 500 बिस्तर तैयार किये जाने की योजना है। 15 जुलाई को प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस हेतु प्रशासन को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं।

सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने पत्र में आगे लिखा था कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनसंघ की स्थापना ग्वालियर से ही हुई है हमारे प्रेरणास्रोत स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रवास भी उस समय ग्वालियर हुआ था। ग्वालियर के निर्माणाधीन एक 1000 बिस्तर वाले अस्पताल का नामकरण यदि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर किया जाता है तो हम सब के लिए गर्व की बात भी होगी और उस महान राष्ट्र नेता के लिए के लिए हम ग्वालियरवासियों की आदरांजलि भी होगी।

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सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने पत्र में आगे लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ग्वालियर को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सौगात दी है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में इस नव निर्मित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने कोविड अस्पताल के रूप में ग्वालियर चम्बल अंचल के पीड़ितों के उपचार में प्रमुख भूमिका निभाई है। इस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का नामकरण ग्वालियर के सपूत भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हो यह हम सब ग्वालियरवासियों के लिए गौरव की बात होगी।

Gwalior News: 1000 बिस्तर का अस्पताल विवादों में, नामकरण को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने सामने

1000 बिस्तर के अस्पताल के नामकरण के लिए सांसद की मांग पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जब इस अस्पताल के लिए राशि स्वीकृत की थी तो माधवराव सिंधिया अस्पताल के नाम से ही की थी। उन्होंने कहा कि राशि जारी करवाने के लिए उन्होंने भी प्रयास किये थे।

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गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब 5 मार्च 2019 को उन्होंने भाजपा के विरोध के बीच 1000 बिस्तर के अस्पताल के निर्माणकार्य का शुभारम्भ किया था इसी दौरान घोषणा की गई थी कि 1000 बिस्तर के इस अस्पताल का नाम स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के नाम पर रखा जाएगा। इतना ही नहीं निर्माण एजेंसी के दस्तावेजों में भी इसी नाम का प्रयोग किया जा रहा है

उधर मामला गरमाने के बाद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि 1000 बिस्तर के अस्पताल का शिलान्यास भाजपा सरकार में ही किया गया था इसका कोई नाम रखा गया है ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है। उधर ग्वालियर के प्रशासनिक अधिकारी भी अस्पताल का कोई नाम रख लिए जाने से अनिभिज्ञता जता रहे हैं।

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बहरहालअब ये देखना दिलचस्ब होगा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के पत्र पर क्या फैसला लेते हैं? चूँकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा में हैं और केंद्रीय मंत्री हैं यदि उन्होंने पहले ही 1000 बिस्तर के अस्पताल का नाम अपने पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के नाम पर तय कर लिया है तो इसे बदलना कैसे संभव है ? इतना ही नहीं सांसद विवेक नारायण शेजवलकर  ने 1000 बिस्तर के अस्पताल का नाम भाजपा के प्रेरणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का अनुरोध किया है जिसे इंकार करना कहीं भाजपा के प्रेरणासोत का अपमान न समझा जाये। कुल मिलाकर अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में हिअ वो इस झगडे को कैसे मैनेज करते हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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