Gwalior Mines Safety : कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वह उसमें खुद गिरता है..यह बात मध्य प्रदेश के सीएम के सख्त निर्देशों के बाद प्रदेश में यथार्थ होती दिखाई दे रही है। दरअसल प्रदेश में अब तक खनिज माफिया केवल अपने फायदे के लिए खनिज उत्खनन कर उससे मुनाफा कमाकर खदानों को ऐसे ही खुला छोड़ जाया करते थे। ऐसा ही कुछ हुआ ग्वालियर के शताब्दीपुरम से कुछ दूर मऊ में, जहां ठेकेदारों द्वारा उत्खनन कर खदान की जगह पर गहरे गड्ढे छोड़ दिए गए।
रहवासियों ने NGT में की शिकायत
खुले गड्ढों की शिकायत आसपास के रहवासियों द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली में की गई। इसके बाद एनजीटी ने इन गड्ढों को भरवाने के आदेश दिए। साथ ही रिपोर्ट का पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की बात भी कही। इसके बाद वर्ष 2022 में इन ठेकेदारों को खनिज विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया और ये गड्ढे भरने की बात कही। लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद इन ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, रहवासियों द्वारा खदान में ठेकेदार द्वारा गिट्टी बोल्डर भंडारण की शिकायत पर खनिज विभाग द्वारा ठेकेदार पर जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन यह जुर्माना ठेकेदार द्वारा कभी नहीं भरा गया।
इसके बाद ठेकेदारों ने गड्ढे भरने की बात को लेकर अफसर के साथ मिल एक प्रस्ताव तैयार किया जिसमें इन गड्ढों को भरने की जिम्मेदारी शासन के खर्च पर तय की गई। हालांकि इस मामले में विभाग का कहना है कि इस तरह का कोई प्रस्ताव अधिकारियों द्वारा तैयार नहीं किया गया है।
ग्वालियर कलेक्टर ने दिए आदेश
अब इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश शासन के खनिज संचालक अनुराग चौधरी ने ग्वालियर कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों का अनुपालन करते हुए ग्वालियर कलेक्टर ने ठेकेदारों को नोटिस जारी किया है जिसके अनुसार या तो ठेकेदारों को इन खदानों में गड्ढों को भरवाना होगा या फिर ठेकेदारों से सरकार द्वारा इन गड्ढों को भरवाकर राशि वसूल की जाएगी।
आपको बता दें कि इस मामले में ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिन ठेकेदारों को नोटिस जारी किया उनमें रामनिवास शर्मा की दो खदानें हैं, श्याम शर्मा के श्री राम स्टोन क्रेशर की एक खदान है, गीता शर्मा और बृजेश शर्मा की अमन स्टोन क्रशर के नाम से खदान है, साथ ही गौर की श्रेयदीप स्टोन के नाम से खदान है।