High court on Employees Increment : हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दरअसल हाई कोर्ट द्वारा कलेक्टर के उस आदेश को निरस्त किया गया। जिसमें कलेक्टर द्वारा सहकारी निरीक्षक के वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दिए गए थे। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कलेक्टर को किसी भी कर्मचारी की वेतन वृद्धि रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
दरअसल ग्वालियर कलेक्टर द्वारा सहकारी निरीक्षक आरडी पचोरिया की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दिए गए थे। मामले में कर्मचारी द्वारा प्रशासनिक व्यवस्था के तहत अपील की गई लेकिन इस मामले में कर्मचारी की सुनवाई नहीं हुई। जिसपर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट में दी गई दलील
याचिकाकर्ता की ओर से ग्वालियर हाईकोर्ट को दलील देते हुए बताया गया कि कलेक्टर द्वारा किसी भी अधिकारी व कर्मचारी की वेतन वृद्धि रोकने का अधिकार नहीं है। नियमों के तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर मामूली जुर्माना लगाने का अधिकार प्राप्त है। बावजूद इसके द्वारा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दिए गए हैं।
कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए कलेक्टर
दलील देते हुए वकील ने कहा कि वेतन वृद्धि एक दंड प्रावधान है, जो कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र से बाहर का कार्य है। ऐसे में उच्च न्यायालय द्वारा कलेक्टर को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। कलेक्टर द्वारा जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने कलेक्टर को उपस्थित होने के निर्देश दिए बावजूद कलेक्टर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए।
ओआईसी पर 10000 रूपए का जुर्माना
जिस पर हाईकोर्ट ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा है कि कलेक्टरों को किसी भी कर्मचारी की वेतन वृद्धि रोकने का अधिकार नहीं है। ओआईसी की ओर से हाईकोर्ट में जो जानकारी पेश गई है, वह गलत साबित हुई। ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा ओआईसी पर भी 10000 का जुर्माना लगाया गया है।