ऊर्जा मंत्री की कार्य शैली से BJP सांसद खफा, कही ये बड़ी बात

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। विधानसभा चुनावों से पहले ग्वालियर में BJP नेताओं ने दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। मंत्री से लेकर पार्षद तक नगर निगम अधिकारियों पर काम के लिए दबाव बना रहे हैं। ग्वालियर सांसद इस तरह के दबाव को अनुचित मानते हैं उन्होंने ऊर्जा मंत्री द्वारा नगर निगम के कामों में की जा रही दखलअंदाजी को अनुचित ठहराते हुए अधिकारियों से किसी के दबाव में काम ना करने की सलाह दी है। पढ़िए एक खास खबर

मध्य प्रदेश शासन के ऊर्जा मंत्री और ग्वालियर जिले की ग्वालियर विधानसभा के विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) अपनी अलग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। कभी वे नाला साफ करते दिखते हैं तो कभी झाड़ू लगाते हुए दिखाई देते हैं और चर्चा में बने रहते हैं। लेकिन इस बार उनकी चर्चा अलग वजह से हो रही है।अपनी विधानसभा के लिए चिंता करने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में ली, बैठक में उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने उनकी विधानसभा में बुनियादी सुविधाओं और उसके लिए लिखे गए पत्रों की अनदेखी पर अफसरों को फटकारा। उन्होंने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों के कारण यदि जनता को परेशानी होगी तो ये बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

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ग्वालियर से भाजपा सांसद विवेक शेजवलकर (BJP MP Vivek Shejwalkar) इस तरह की दखलंदाजी को अनुचित बताते हैं उनका कहना है कि मैं भी महापौर रहा हूँ इस नाते कह सकता हूँ कि नगर निगम कानूनन एक स्वायत्त संस्था है और उसके अपने अधिकार हैं जबकि मप्र सरकार अलग संस्था है। इसलिए नगर निगम के अधिकारियों पर किसी भी तरह का दबाव डालना गलत है। उन्होंने कहा कि मेरा तो मानना है कि अधिकारियों को भी बिना किसी दबाव के काम करना चाहिए, क्योंकि दबाव में काम खराब ही होता है।

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इस पूरे मामले पर नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल (Gwalior Municipal Corporation Commissioner Kishor Kanyal) की अलग राय है। उनका कहना है दबाव हमारे जॉब का एक हिस्सा है और हमें इसे पॉजिटिव लेना चाहिए, यही मैं अधिकारियों से भी कहता हूँ। उन्होंने कहा कि जितने ज्यादा जन प्रतिनिधि होंगे वे उतनी ज्यादा परेशानियों को उजागर करेंगे और उन्हें दूर करना हमारा काम है। इसलिए हमें सिर्फ काम पर फोकस करना चाहिए।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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