Gwalior News : मध्य प्रदेश का ग्वालियर शहर एक ऐतिहासिक शहर है, देश की आजादी में ये शहर महत्वपूर्ण भूमिका रखता है, यहाँ तोमर, मुग़ल, अंग्रेज शासकों ने राज किया, रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान की भूमि भी ये शहर है,संगीत सम्राट तानसेन की जन्मभूमि भी ग्वालियर ही है इसके अलावा ग्वालियर शहर सिख समुदाय के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है कारण है सिखों के छठवें गुरु हरगोबिन्द सिंह साहब का साहस और बलिदान…मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसी बलिदान और साहस के प्रति सम्मान प्रकट किया है
दरअसल मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ग्वालियर शहर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बन रहे प्रवेश द्वार का नामकरण करने की घोषणा की है, उन्होंने कहा- आज गर्व के साथ हम ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बनने वाले नगर द्वार का नाम सिख धर्म के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी के सम्मान में “दाता बंदी छोड़ द्वार” रख रहे हैं। ग्वालियर शहर और चंबल संभाग सिख समुदाय के अद्वितीय इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। गुरु हरगोबिंद सिंह जी का साहस और बलिदान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
![Data Bandi Chhor Gurdwara Gwalior](https://mpbreakingnews.in/wp-content/uploads/2025/02/mpbreaking52529465.jpg)
गुरु हरगोबिन्द सिंह ने खुद के साथ 52 राजाओं को भी जहाँगीर की कैद से रिहा कराया था
मुख्यमंत्री ने कहा ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बनाए जाने वाले नगर द्वार का नाम सिक्खों के छठवें गुरु हरगोविंद साहब जी के नाम पर दाताबंदी छोड़ द्वार रखने की घोषणा कर रहा हूँ, ग्वालियर शहर व ग्वालियर चम्बल संभाग में सिक्ख समुदाय का बड़ा प्राचीन इतिहास है। बड़ी संख्या में सिक्ख परिवार इस क्षेत्र में निवास करते है। सिक्खों के छठवें गुरु “श्री हरगोबिंद साहब जी” को ग्वालियर के किले में मुगल बादशाह जहाँगीर ने कई वर्षों तक बंदी बनाकर रखा था। श्री गुरु हरगोविंद जी साहब के साथ और भी 52 हिन्दु राजा कैद थे। जब श्री गुरु हरगोविंद जी को बादशाह द्वारा मुक्त किया जा रहा था, तब उन्होंने अपने साथ इन 52 राजाओं को भी मुक्त करने की शर्त रखी थी। जिसके बाद जहाँगीर ने सभी को रिहा किया था।
ऐसे पड़ा दाता बंदी छोड गुरुद्वारा नाम
इतिहास बताता है कि गुरु हरगोबिन्द सिंह के साथ विशेष रूप से बनवाये गुरू साहब के चोले की 52 कलगियों को पकड़कर सभी 52 राजा ग्वालियर किले से बाहर आये थे। इस कारण गुरू साहिब का नाम “दाताबंदी छोड़” पड़ा। जिसके बाद ही ग्वालियर किले पर गुरुद्वारे का निर्माण हुआ जिसका नाम “दाता बंदी छोड गुरुद्वारा” है। इस गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से सिक्खों के बड़े समूह नियमित रूप से ग्वालियर आते हैं। इसके अलावा विदेश सैलानी भी इस भव्य और ऐतिहासिक गुरुद्वारे को देखने आते हैं।
नई पीढ़ी गुरु हरगोविंद साहब को नजदीक से जान सकेगी
विशेष बात ये है कि प्राय: यह आवागमन मुरैना के रास्ते ही होता है, इसलिए मुरैना के रास्ते में पुरानी छावनी में नव-निर्मित “नगर द्वार” का नाम गुरु हरगोविंद साहब के नाम पर “दाता बंदी छोड़ द्वार” रखा जाना अत्यंत उपयुक्त तथा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा इस नगर द्वार का नाम गुरु हरगोबिन्द के नाम से होने पर नै पीढ़ी उन्हें और नजदीक से जान सकेगी ।
आज गर्व के साथ हम ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र में बनने वाले नगर द्वार का नाम सिख धर्म के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी के सम्मान में "दाता बंदी छोड़ द्वार" रख रहे हैं।
ग्वालियर शहर और चंबल संभाग सिख समुदाय के अद्वितीय इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। गुरु… pic.twitter.com/Gj4GIPQou2
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 14, 2025