ग्वालियर में कांग्रेस ने बदला इतिहास 57 साल बाद महापौर पद पर कब्जा

Amit Sengar
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) नगर सरकार के पिछले 57 साल के इतिहास में पहली बार भाजपा का किला कांग्रेस ने ढहा दिया। ग्वालियर महापौर पद के लिए भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी लेकिन कांग्रेस विधायक ने “एक परिवार, पूरी सरकार” के फार्मूले पर चुनाव लड़कर भाजपा को करारी शिकस्त दे दी और इतिहास रच दिया। कांग्रेस की डॉ. शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा को 28805 मतों से हराया। वहीं कांग्रेस की शोभा सिकरवार को 2,35,154 वोट और भाजपा की सुमन शर्मा को 2,06,349 वोट मिले।

ग्वालियर में कांग्रेस ने बदला इतिहास 57 साल बाद महापौर पद पर कब्जा

ग्वालियर में महापौर पद के लिए शुरुआत में मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच था लेकिन आज जब परिणाम सामने आया तो मामला सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच दिखाई दिया।

खास बात ये रही कि कांग्रेस की शोभा सिकरवार ने पहले ही राउंड से जो बढ़त लेना शुरू की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। जैसे जैसे राउंड आगे बढ़ा कांग्रेस की शोभा सिकरवार का भाजपा की सुमन शर्मा से जीत का अंतर बढ़ता ही रहा।

मतगणना स्थल पर पहुंची शोभा सिकरवार ने इसे ग्वालियर की जनता की जीत बताया है उन्होंने जनता और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा कि जनता ने मुझपर जो भरोसा जताया है उसपर खरी उतरूँगी।

कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि जनता परिवर्तन चाहती थी, जिसका परिणाम सबके सामने है उन्होंने कहा कि जैसे हम 2018 जीते थे 2023 भी जीतेंगे।

महापौर पद पर जीत हासिल कर इतिहास रचने वाली डॉ शोभा सिकरवार के पति कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार ने पत्नी की जीत के बाद कहा कि ये तो पहले से ही तय था कि कांग्रेस की ही महापौर बनेगी और कांग्रेस की ही परिषद। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भाजपा ने पूरी सरकार को मैदान में उतार दिया खूब पैसा खर्च किया लेकिन कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं की दम पर चुनाव लड़ा और जनता ने उसे आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूरी ताकत लगाई, मुख्यमंत्री, दो दो केंद्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री लगाए। कई प्रकार के हथकंडे अपनाये लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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