कांग्रेस का पलटवार- “सिंधिया ट्रंप को भी ले आये तो भी 16 में से एक भी सीट नहीं जीत रहे”

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना

मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) में 27 सीटों पर होने वाले उपचुनावों (Byelection) की तारीखों की घोषणा से पहले ही भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। सबसे ज्यादा घमासान ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों पर है। भाजपा जहाँ सभी 16 सीट जितने के दावे कर रही है तो वहीं कांग्रेस भी सभी 16 सीटें जितने के दावे कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि सिंधिया (jyotiraditya scindia) यदि अब डोनाल्ड ट्रंप को भी ले आएं तो भी 16 में से एक भी सीट नहीं जीत रहे।

ग्वालियर चंबल संभाग की 34 विधानसभा सीटें प्रदेश की राजनीति में कितना महत्व रखती हैं ये 2018 के विधानसभा चुनावों के परिणाम ने साबित किया था। 2018 के चुनाव में इन सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव देखने को मिला और 34 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीती जबकि भाजपा के खाते में 7 सीटें आई और एक सीट बसपा को गई जबकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस मात्र 12 सीट जीत पाई थी और भाजपा ने 20सीटों पर कब्जा किया था जबकि दो सीट बसपा के खाते में गई थी। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद अंचल की इन 34 में से 15 सीटें प्रभावित हुई जबकि एक सीटकांग्रेस विधायक के निधन से खाली हुई और अब 34 में से 16 सीटों पर उप चुनाव होने हैं।

सिंधिया के प्रभाव के चलते ये सीटें पिछली बार कांग्रेस को मिली थी इन सीटों पर जीतकर में विधायक सिंधिया के साथ ही भाजपा में आ गए तो भाजपा को इन सीटों पर जीत का पूरा भरोसा हैं । भाजपा का मानना है कि इन सीटों पर उसका खुद का वोटर और अब सिंधिया एवं 2018 के चुनाव में जीते विधायक का खुद का वोटर भी हमारे साथ है इसलिए सभी सीटों पर जीत पक्की है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं ग्वालियर चंबल अंचल के प्रभारी प्रभात झा का कहना है कि पूरी भाजपा मिलकर चुनाव लड़ रही है और हम सभी सीटें जीत रहे हैं। उधर भाजपा की जीत पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं ग्वालियर चंबल अंचल के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा सभी 16 सीटों पर अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हैं। उनका दावा है कि अब यदि सिंधिया जी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी लेकर आ जाएं तो भी 16 में से एक भी सीट नहीं जीत पाएंगे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सिंधिया कितने बड़े जनसेवक हैं ये सबने देख लिया। कोरोना से अंचल में कितने लोग मर गये, अस्पतालो का हाल बुरा है जनता परेशान है लेकिन जनसेवक को जनता की चिंता नही हुई। जो खुद के सम्मान के लिए पार्टी छोड़ने की बात करते हैं उनको जनता का सम्मान दिखाई नहीं देता। इसका जवाब उंहेम आने वाले चुनावों में यही जनता देगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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