चीनोर के घरसोंदी में पाँच सौ बीघा गेहूँ की फसल जलकर खाक

Amit Sengar
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डबरा,सलिल श्रीवास्तव। चीनोर क्षेत्र के घरसोंदी गांव में आज फिर आग का विकराल रूप देखने को मिला आग से लगभग 500 बीघा क्षेत्र में खड़ी गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई, इससे लगभग करोड़ों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। किसानों ने और फायर ब्रिगेड ने बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

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आपको बता दे कि 2 दिन पहले चीनोर क्षेत्र के ही भदेश्वर,सिरसुला और दौलतपुर मौजे में आग का विकराल रूप देखने को मिला था, जिसमें लगभग 1500 बीघा क्षेत्र में खड़ी गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई थी। उसके बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई नेता भदेश्वर में किसानों के बीच पहुंचे थे, और उन्हें उचित मुआवजे दिलाए जाने का आश्वासन दिया था। साथ ही क्षेत्र में रीपर पर प्रतिबंध लगा दिया था इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी किसानों ने सबक नहीं लिया और आज फिर यह घटना हो गई। आग कैसे लगी यह स्पष्ट नहीं है।

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आग से घरसोंदी और ररूआ मौजे में लगी तो देखते ही देखते लगभग 500 बीघा क्षेत्र को अपने घेरे में ले लिया, यह तो खुद किस्मत ही थी, कि 2 दिन पूर्व हुई आगजनी की घटना के कारण फायर ब्रिगेड ने थाने में रखी थी। जो मौके पर पहुंची उसके बावजूद भी किसानों ने अपने खेतों में ट्रैक्टर चला कर आग पर काबू पाने का प्रयास किया सबसे बड़ी बात इस प्रकार की आगजनी में बड़े किसान तो संभल जाते हैं पर छोटे किसान जिन पर 2-5 बीघा जमीन है और यही उनकी जीविका चलाने का साधन होती है, उनके सामने खाने-पीने तक का संकट खड़ा हो जाता है। आप वीडियो में साफ तौर पर देख सकते हैं कि आग लगने के कारण महिला का रो-रोकर बुरा हाल है, यह इस बात को बयां करता है कि उसके लिए यह फसल ही सब कुछ थी। जो उसकी आंखों के आगे जलकर खाक हो रही थी। फ़िलहाल इस आगजनी में भी करोड़ों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है, प्रशासनिक अधिकारी मुआवजा तो देंगे पर यह मुआवजा उनके लिए मलहम का काम तो करेगा पर आग का यह दर्द उन्हें अगली साल तक कष्ट देगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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