Dabra news:अघोषित बिजली कटौती, बेहाल जनता !

Gaurav Sharma
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डबरा,डेस्क रिपोर्ट। डबरा शहर जो कि अपनी कृषि मंडी के लिए पूरे भारत में पहचान रखता है इस समय प्रशासनिक नजरंदाज़ी से बुरी तरह से पीड़ित है। कहते हैं बिजली, पानी, सड़के और सफाई किसी भी शहर की पूरी कहानी बयां करते हैं, अगर यह बात सच है तो डबरा शहर की कहानी इस समय एक बुरे अध्याय से गुजर रही है।

बात हो शहर की सड़कों की, सफाई की, पानी की या बिजली की यहां हर तरफ हाल बेहाल है। आए दिन शहर में बिजली की कटौती लगता हैं अब आम बात हो गई है। हर महीने मेंटेनेंस के नाम पर कई घंटों लाइट काटने के बाद भी आलम यह है कि कभी भी किसी भी इलाके की बिजली बिना किसी जानकारी के गुल कर दी जाती है। शिकायत करने पर जवाब मिलता है कि “समस्या ढूंढ रहे हैं जल्द ही बिजली चालू कर दी जाएगी”, इसके बाद भी कई बार कई घंटो तक बिजली गायब रहती है।

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अब सवाल यह उठता है की यदि रोज़ दिन में कई बार फॉल्ट के कारण बिजली गुल हो रही है तो मेंटेनेस के वक्त क्या किया गया? और यदि मेंटेनेस किया गया तो रोज़ाना लाइन में फॉल्ट क्यूं?य

यह सवाल लगातार शहर की जनता द्वारा बिजली विभाग के आला अधिकारियों से पूछे जाते हैं पर इनका जवाब कभी किसी के द्वारा नहीं दिया जाता। हालांकि इसे भी इमरजेंसी मेंटेनेंस के नाम पर सही दर्शा कर जनता को इंतजार करने का कहा जाता है। इतना ही नहीं बारिश के दिनों में ज़रा सी बूंदा बांदी होते ही पूरे शहर की बिजली को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर बंद कर दिया जाता है। पर आखिर में समस्याओं का सामना बेचारी आम जनता को ही करना पड़ता है। गर्मी और मच्छरों से बेहाल में जनता की उम्मीदें लगता है अब धीरे धीरे शासन और प्रशासन से मानो खत्म सी होने लगी है और अब असहाय जनता सोशल मीडिया ग्रुपों पर बिजली आने की गुहार लगाती नज़र आती है।

आपको बता दें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ऊर्जा विभाग को साल 2021 के लिए 5728 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था। इतना ही नहीं बजट में सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति की बात कही थी, लेकिन शहर और आस पास के गांव की स्तिथि देखकर लगता है मानो शहर सरकार की नीतियों को ठेंगा दिखा रहा हो, इतना ही नहीं डबरा की वर्तमान हालात की बात करें तो कहा जा सकता है कि को देखकर न तो डबरा शहर मध्य प्रदेश राज्य का हिस्सा है और न ही इस बजट में शहर के लिए कोई राशि आवंटित की गई है। और सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ग्वालियर जिले से होने के बावजूद डबरा शहर की जनता की सुनवाई के लिए कोई नजर नहीं आता है।

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शहर में खुली पड़े ट्रांसफार्मर , जगह जगह ट्रांसफार्मरों पर चढ़ी हुई बेलें, या शहर के मुख्य चौराहों पर झूलते हुए तारों के गुच्छे आपको हर जगह देखने को मिल जाएंगे।इतना ही नहीं मुख्य चौराहों के डिवाइडरों पर कराए गए स्टील की रेलिंग के काम में देखकर साफ नजर आता है कि यदि कभी खुला पड़ा तार रेलिंग से टच हो जाता है तो निश्चित ही इससे किसी बड़े हादसे के होने की पूरी संभावना बनेगी। बात सिर्फ इतनी सी है की जब उपभोगता बिजली का बिल भरने में एक दिन की भी देरी कर दे तो उस पर सरकार ( विभाग) द्वारा जुर्माना लगाया जाता है, पर जब विभाग की वजह से रोज़ाना जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो क्या उसके लिए सरकार द्वारा विभाग पर कार्यवाही करने के क्या प्रावधान हैं?


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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