Gwalior News : फसल की कटाई के बाद किसान फसलों के ठूंठ यानि पराली को आमतौर पर जलाकर नष्ट करता है लेकिन पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ने के कारण अब इसपर रोक लगनी शुरू हो गई है, हरियाणा पंजाब जैसे बड़े कृषि प्रधान राज्यों में बड़ी संख्या में पराली जलाए जाने का असर दिल्ली के पर्यावरण पर भी पड़ता है , ये मामला संसद से लेकर न्यायालय तक पहुंच चुका है, अब मध्य प्रदेश में भी पराली जलाने पर प्रतिबंध लग रहा है ।
ग्वालियर जिले में पराली जलाने पर प्रतिबंध
ग्वालियर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने धारा-144 के तहत जिले में फसलों के अवशेष यानि पराली जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है , जिला दण्डाधिकारी श्रीमती चौहान ने धारा-144 के तहत ये आदेश जारी जारी किया है। आदेश के तहत जिले में फसलों के अवशेष मसलन गेहूँ की नरवाई इत्यादि जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हार्वेस्टर मशीन संचालकों को स्ट्रारीपर (भूसा बनाने की मशीन) लगाकर कटाई करनी होगी
कोई भी किसान फसल कटने के बाद अपने खेत पर फसल के अवशेष नहीं जला सकेगा। आदेश में कहा गया है कि हार्वेस्टर मशीन संचालकों को हार्वेस्टर के साथ अनिवार्य रूप से स्ट्रारीपर (भूसा बनाने की मशीन) लगाकर कटाई करनी होगी। यदि कोई किसान बिना स्ट्रारीपर के फसल काटने के लिये दबाब डालता है तो उसकी सूचना संबंधित पुलिस थाने, ग्राम पंचायत सचिव या ग्राम पंचायत निगरानी अधिकारी को देना होगी।
NGT के निर्देशों के तहत निर्देश जारी, उल्लंघन पर होगी धारा 188 के तहत कार्रवाई
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती चौहान ने फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटनाएँ रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत यह आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि आदेश का उल्लंघन पर भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत कार्रवाई होगी।
आदेश के उल्लंघन पर देना होगा पर्यावरण मुआवजा
आदेश में कहा गया है कि किसी ने अवशेष (पराली ) जलाये तो उसे पर्यावरण मुआवजा भी भरना होगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि दो एकड़ से कम भूमि धारक को 2500 रुपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक व पाँच एकड़ से कम भूमि धारक को पाँच हजार रुपये प्रति घटना एवं पाँच एकड़ से अधिक भूमि धारक को 15 हजार रुपये प्रति घटना पर्यावरण मुआवजा देना होगा।
मशीन चलाते समय अग्नि सुरक्षा यंत्र खेत में रखना भी जरूरी
कलेक्टर के आदेश में ये भी कहा गया है कि हार्वेस्टर मशीन एवं स्ट्रारीपर से भूसा बनाने के दौरान निकलने वाली चिंगारी से अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए मशीन संचालक को अपने साथ अग्नि सुरक्षा यंत्र अनिवार्य रूप से रखने होंगे। साथ ही रेत एवं पानी का भी पर्याप्त इंतजाम रखना होगा। खेतों के आसपास स्थित ट्रांसफार्मर से चिंगारी न निकले इस पर विशेष ध्यान देने के निर्देश इस आदेश के माध्यम से विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री को दिए गए हैं।