भोपाल डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश को ग्वालियर पुलिस ने बेनकाब किया है। हैरत की बात यह है कि प्रारंभिक जांच में इस साजिश के पीछे विभाग का एक अधिकारी जिम्मेदार माना जा रहा है जो पूर्व में रहे कुछ आयुक्तों का खासम खास हुआ करता था।
ग्वालियर के सिंधिया नगर में रहने वाले धर्मवीर सिंह कुशवाह उस समय हैरान हो गए जब उनके मोबाइल से स्पीड पोस्ट से भेजी गई डाक की ट्रैकिंग रिपोर्ट आने लगी। दरअसल स्पीड पोस्ट में यह व्यवस्था है कि जिस व्यक्ति के द्वारा डाक भेजी जाती है उसे लगातार उसकी अपडेट स्थिति पता चलती रहती है कि पोस्ट अभी कहां पहुंची। जब धर्मवीर मामले की तह में गए तो पता चला कि उनके नाम से परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के खिलाफ 9 शिकायतें की गई है।
यह सभी शिकायतें स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजी गई थी और सभी पोस्ट ग्वालियर रेलवे स्टेशन के एमबीसी काउंटर से की गई। पोस्ट ऑफिस में शिकायत करने पर सारी शिकायतें रिकॉल कर धर्मवीर कुशवाहा के पास आई और तब पता चला कि किस तरह से उनके नाम से परिवहन मंत्री और आयुक्त की झूठी शिकायतें की गई है। इन शिकायतों मे मंत्री और आयुक्त पर अवैध वसूली करने और उपचुनाव में पैसा लगाने की शिकायत की गई थी। इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न परिवहन नाको से वसूली की भी शिकायत थी।
मामला ग्वालियर की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया और प्रारंभिक तहकीकात में वह व्यक्ति पकड़ में आ गया जिसने पोस्ट ऑफिस में जाकर स्पीड पोस्ट की थी। बताया गया है कि यह व्यक्ति विभाग में ही बाबू से पदस्थ हुए और आयुक्तों की मेहरबानी से अधिकारी बन गए व्यक्ति की ड्राइवरी करता था। सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक पूछताछ में इस व्यक्ति ने उक्त अधिकारी को इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराया है जिसने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी।
दरअसल यह अधिकारी पिछले काफी लंबे समय से खुद को परिवहन विभाग में दरकिनार किए जाने से नाराज था। एक समय था जब कुछ परिवहन आयुक्तों की मेहरबानी के चलते इस अधिकारी की तूती पूरे विभाग में बोला करती थी। पुलिस का कहना है कि अभी अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है लेकिन जल्द ही इस मामले में लोग नामजद किए जाएंगे।