ग्वालियर, अतुल सक्सेना। जीवाजी विश्व विद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अटल विहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज) तथा जीवाजी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ग्वालियर टू ग्लोबल समिट (Gwalior To Global Summit) में शामिल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने ग्वालियर (Gwalior ) के विकास के लिए सभी से आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने ग्वालियर की विश्व में पहचान बनाने के लिए सात सूत्र भी बताये।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ‘ग्वालियर-टू- ग्लोबल’ समिट (Gwalior To Global Summit) में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा ग्वालियर के विकास के लिए शैक्षणिक संस्थान, उद्यमी, बुद्धिजीवियों व युवाओं को एक साथ आना होगा। सभी के प्रयास ऐसे हों जिससे इस प्रकार के नए भारत का निर्माण हो जो हमारी संस्कृति और आधुनिकता का संगम बने। सिंधिया ने जीटूजी के विचार को ग्वालियर-टू-ग्लोबल से ग्लोबल-टू-ग्वालियर तक विस्तृत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्वालियर पर्यटन के लिहाज से अपार संभावनाओं का शहर है। जरूरत यहाँ की खूबियों की बेहतर ब्रांडिंग की है, जिससे देश-विदेश के लोग ग्वालियर की ओर आकर्षित हों।
सोमवार को जीवाजी विश्वविद्यालय(Jiwaji University) के अंतर्राष्ट्रीय अटल विहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज) तथा जीवाजी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ग्वालियर-टू-ग्लोबल समिट का आयोजन हुआ। ग्वालियर के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से इस समिट का आयोजन किया गया।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘ग्वालियर-टू- ग्लोबल’ समिट (Gwalior To Global Summit)को शहर व देश के समग्र विकास के लिए अच्छी प्रक्रिया बताया। सिंधिया ने कहा कि शहर में विश्वस्तरीय संस्थान हैं और यहाँ के उत्पाद भी उत्कृष्ट हैं। बस सही तरीके से इनकी ब्रांडिंग किए जाने किए जाने की जरूरत है। ग्वालियर शहर रेल, सड़क व वायुमार्ग से देश के सभी भागों से जुड़ा है। जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे विभिन्न कोर्स और कार्यक्रमों के बारे में बताया। साथ ही विश्वविद्यालय की स्टार्टअप पॉलिसी पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
सिंधिया ने बताए ग्वालियर-टू-ग्लोबल के लिए महत्वपूर्ण सूत्र
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ‘ग्वालियर-टू- ग्लोबल’ समिट (Gwalior To Global Summit) जीटूजी के विचार को दोतरफा परिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा ग्वालियर शहर समूची दुनिया को सांस्कृतिक-ऐतिहासिक व सांगीतिक विरासत से अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल-टू-ग्वालियर के लिए शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत और पर्यटन के रूप में दो सूत्र बताए। इसी तरह उन्होंने ग्वालियर-टू-ग्लोबल के विचार को धरातल पर लाने के लिये पाँच सूत्रों का उल्लेख किया। जिनमें रक्षा-उद्यमिता, शिक्षण संस्थानों का प्रचार, शोध, कृषि-डेयरी व प्रोसेसिंग, सोलर एनर्जी पर आधारित सेंटर, हस्त-शिल्प-पॉटरी, उत्तर व दक्षिण भारत के लिए डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इत्यादि शामिल हैं।
विश्वविद्यालय में रिसर्च एण्ड डवलपमेंट सेंटर स्थापित करने पर जोर
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने जीवाजी विश्वविद्यालय में रिसर्च एण्ड डवलपमेंट सेंटर स्थापित करने पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय तभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकता है जब उसमें उत्कृष्ट स्तर के शोध कार्य हों। उन्होंने यूरोप के विभिन्न विश्वविद्यालयों का इसके लिए उदाहरण दिया।
अब पराली व गोबर के उपयोगों पर जेयू में होगा शोध
कार्यक्रम के दौरान सिंधिया की मौजूदगी में एक अहम एमओयू हुआ। जेयू कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला और वर्कफाई स्टार्टअप कंपनी की सीईओ कु. आकांक्षी वैश्य के साथ इस एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस समझौते के तहत एक गोबर व पराली बैंक बनाया जाएगा। जेयू में इस पर शोध किया जा रहा है। कु. आकांक्षी वैश्य ने बताया कि पराली व गोबर से वैकल्पिक कोयला तैयार होगा, जिससे क्षेत्र के किसानों को बड़ा फायदा होगा।
इस अवसर पर जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, डीआरडीओ के डॉ. सैलेश जायसवाल, पूर्व मंत्री श्रीमती इमरती देवी, सीआईआई से जुड़े शहर के वरिष्ठ उद्यमी आशीष वैश्य सहित विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधिगण, भाजपा जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी, पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल व रामबरन गुर्जर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील मण्डेलिया एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अध्यक्ष और स डीडी अग्रवाल, वीरेन्द्र गंगवाल, प्रवीण अग्रवाल, भरत झवर, अशोक विजयवर्गीय, केजी दीक्षित सहित अन्य उद्यमी मौजूद थे।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....