ग्वालियर । भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व, कृतित्व व ऊंचाई को शब्दों में बांधना बहुत ही कठिन कार्य है। अटल जी विराट व्यक्तित्व वाले राजनेता एवं कवि थे, ग्वालियर के कण-कण में अटल जी बसते हैं। आज अटल जी को स्मरण करते हुए आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में प्रख्यात कवि सोम ठाकुर को सम्मानित करना हम सबके लिए गौरव की बात है। ये बात केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित “हमारे अटल प्यारे” अटल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। इस अवसर पर देश के सुविख्यात कवि सोम ठाकुर को कवि अटल सम्मान से विभूषित किया गया। उन्हें सम्मानस्वरूप 1 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र, शॉल और श्रीफल दिया गया।
नगर निगम द्वारा जलविहार परिसर में आयोजित “हमारे अटल, प्यारे अटल” कार्यक्रम के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं कवि अटल सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने की। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रुप में प्रदेश सरकार के खाद्य नागरिक एवं आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर मौजूद थे। खाद्य मंत्री तोमर ने सभी कवियों का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। प्रख्यात कवि सोम ठाकुर को अटल सम्मान देते हुए केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि 25 दिसंबर बहुत पवित्र दिन है इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ, पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म हुआ और ग्वालियर को अटल जी जैसा रत्न मिला। आज पूरी दुनिया में जब अटल जी के कार्यों की प्रशंसा होती है तो प्रत्येक ग्वालियरवासी का सिर गर्व से ऊँचा हो जाता है।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की शुरुआत कर्नल वीपी सिंह ने अपने अंदाज में की। उन्होंने कहा हिन्दु हूँ, सिक्ख हूँ, ईसाई हूँ, मुसलमान हूँ मैं, ये सारे लोग मेरे हैं कि हिंदुस्तान हूँ मैं, तुम मेरी नीव तो ना इस तरह कमजोर करो, तुम्हारे पुरखों का जोड़ा हुआ मकान हूँ मैं। पाकिस्तान को इशारा कर उन्होंने कहा कि अहं का मारा हुआ खुद को मिटाना चाहता है । कब भला संघर्ष संग्राम से भारत डरा है , ना समझ वो फूंक कर सूरज बुझाना चाहता है। कवि सोम ठाकुर ने कहा ” सागर चरण पाखरे , गंगा शीश चढ़ाए नीर , मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर, सौ सौ बार नमन करूँ मैं भैया, सौ सौ बार नमन” । प्रसिद्द गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना ने अटल जी को याद करते हुए अपने अलग अंदाज में कहा “गुमसुम हैं होंठ और ये आंखे उदास हैं, मत पूछिये हमारे ये गम कितने खास हैं। श्रद्धा के सुमन अर्पित हैं स्वर्ग में तुम्हें, लगता है अटल जी यहीं पे आसपास हैं। दीप्ति मिश्रा ने कहा ” दिल से अपनाया ना उसने, गैर भी समझा नहीं ये भी एक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं, वक्त बदला लोग बदले मैं भी बदली हूं मगर, एक मौसम मुझमें है जो आज तक बदला नहीं” । कवि मदन मोहन दानिश ने कहा ” नफरतों से लड़ो, प्यार करते रहो। अपने होने का इजहार करते रहो, जिन्दगी से मोहब्बत करो टूटकर, मौत का काम दुश्वार करते रहो” । खुशबीर सिंह ने कहा “खुशियां देते अक्सर खुद गम में भर जाते हैं, रेशम बुनने वाले कीडे रेशम में मर जाते हैं” देर रात चले कवि सम्मेलन में कड़ाकेदार सर्दी में भी सुकून से बैठे रहे। मंच का संचालन मदन मोहन दानिश ने किया।