कलेक्ट्रेट में लोकायुक्त का छापा, ड्रग इंस्पेक्टर ने मांगी 25,000 की रिश्वत, बाबू रंगे हाथ गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। लोकायुक्त पुलिस ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर के बाबू को 25,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त के मुताबिक एक दवा व्यापारी से दवा बिक्री के थोक लाइसेंस देने के लिए ड्रग इंस्पेक्टर ने रिश्वत मांगी थी लेकिन वे कार्यालय में नहीं मिले और उनके कहने पर उनके बाबू को रिश्वत की राशि देते ही लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

ग्वालियर कलेक्टर स्थित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का कार्यालय हैं यहाँ ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर पदस्थ हैं। लोकायुक्त इंस्पेक्टर कवींद्र चौहान के मुताबिक दवा व्यापारी महेंद्र बाथम ने थोक व्यापार के लिए लाइसेंस के लिये इस कार्यालय में आवेदन दिया था। आवेदन के बाद महेंद्र से 30,000 रुपये की रिश्वत की मांग अजय ठाकुर न की जिसकी शिकायत उसने लोकायुक्त पुलिस से की। लोकायुक्त ने व्यापारी महेंद्र को एक रिकॉर्डर देकर अजय ठाकुर से बात करने की सलाह दी। पुलिस ने बताया कि अजय ठाकुर महेंद्र की दुकान पर पहुंचे और सौदा 25,000 में तय हुआ। और पैसा ऑफिस में देने के लिये कहा।

महेंद्र ने पूरी बात रिकॉर्ड कर लोकायुक्त को सौंप दी। व्यापारी महेंद्र आज गुरुवार को ऑफिस में अजय ठाकुर को 25,000रुपये देने आया लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर नहीं मिले। महेंद्र के मुताबिक अजय ठाकुर के बाबू अयूब खान ने कहा कि मेरी बात हो गई है आप मुझे पैसे दे दीजिए। महेंद्र ने 25,000 रुपये अयूब को दे दिये।

अयूब ने पैसे टेबल कि दराज में रख डिएम पैसे देते ही लोकायुक्त ने छापा मारकर अयूब खान को रंग हाथ गिरफ्तार कर लिया और पाऊडर लगे 25,000 रुपये बरामद कर लिए। लोकायुक्त इंस्पेक्टर कवींद्र चौहान के मुताबिक फरियादी महेंद्र बाथम की शिकायत पर ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर और उनके कार्यालय में पदस्थ बाबू अयूब खान के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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