ग्वालियर सहित मध्यप्रदेश और देश के कई बड़े शहरों में बढ़ता ध्वनि प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है। ग्वालियर की ही बात करें तो जिला न्यायालय, जिला चिकित्सालय, जयारोग्य चिकित्सालय जैसे घोषित सायलेंस जोन में भी मानकों से अधिक ध्वनि प्रदूषण है। लगभग ऐसे ही हालात देश प्रदेश के दूसरे शहरों का भी है। दरअसल एयर ( प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पोल्यूशन) एक्ट 1981 के सेक्शन 2-A में ध्वनि को वायु प्रदूषक तत्व माना गया है ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रयास है कि शहरों में तेजी से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को रोका जाये जो अप्रत्यक्ष रूप से वायु प्रदूषण के स्तर को भी नियंत्रित रखेगा।
15 मार्च को NGT ने दिया था आदेश
बढ़ते ध्वनि प्रदूष�� के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानि NGT ने 15 मार्च 2019 के आदेश दिया था कि ग्वालियर सहित देश के 46 बड़े शहरों में ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाए।
इन संस्थानों के सुझावों पर बनेगा एक्शन प्लान
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी को एक्शन प्लान तैयार करने के लिए कहा है। ये निर्देश नेशनल फिजीकल लेबोरेटरी,सेन्ट्रल रोड रिसर्च इन्स्टीट्यूट व नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इन्स्टीट्यूट से मिले सुझावों के आधार पर तैयार किये गए हैं । प्लान के तहत हरेक जिले को नॉइज़ मैपिंग करनी होगी । इस मैपिंग में मुख्य रूप से हॉट स्पॉट यानि उन क्षेत्रों को उल्लेखित किया जाएगा जहाँ तय मानक से ज्यादा शोर हो रहा है। और फिर इन हॉट स्पॉट के आधार पर ही एक्शन प्लान तैयार किया जायेगा।
इन शहरों में बनेगा एक्शन प्लान
जिन शहरों को एक्शन प्लान बनाने के लिए निर्देशित किया गया है उनमें एमपी के ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर और इंदौर शामिल हैं । इसके अलावा महाराष्ट्र के मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, औरंगाबाद,डोम्बिवली, पिंपरी चिंचवाड, कल्याण और नागपुर, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, कानपुर, आगरा, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी और गाजियाबाद शामिल हैं इसके अलावा अन्य कई प्रदेशों के शहरों को भी NGT ने एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं ।