सिंधिया समर्थक मंत्री की फिसली जुबान- मुख्यमंत्री शिवराज की जगह बोल गए माननीय कमल…

Pooja Khodani
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ग्वालियर। मध्यप्रदेश (MadhyPradesh) की पिछली कांग्रेस सरकार (congress government) को गिराने वाले सिंधिया समर्थकों को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में आये और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhaan) के नेतृत्व में काम करते हुए करीब छह महीने का वक्त बीत चुका है लेकिन वे अभी भी पूरी तरह से इसे शायद स्वीकार नहीं कर पाए हैं। इसका ताजा उदाहरण ग्वालियर में उस समय देखने को मिला जब सिंधिया समर्थक शिवराज के कैबिनेट मंत्री की जुबान फिसल गयी और उन्होंने मुख्यमंत्री माननीय शिवराज की जगह मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ बोल दिया.. हालांकि वे केवल कमल कह कर रुक गए और फिर शिवराज सिंह का नाम लिया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में सिंधिया समर्थक 22 विधायकों, जिनमें 6 कैबिनेट मंत्री थे, ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका देते हुए गिरा दिया था। उसके बाद सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भाजपा की सदस्यता भी ली थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बड़ी संख्या में सिंधिया समर्थकों को मंत्री बना दिया। लेकिन अभी भी कुछ मंत्री ऐसे हैं जो अपने कांग्रेसी होने के पूर्व अहसास को भुला नहीं पा रहे हैं। पिछले दिनों सिंधिया समर्थक कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट की जुबान फिसली थी और उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कलंक कह दिया था, हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण देकर कहा था कि उन्होंने विकास दुबे को लेकर ये कहा था लेकिन उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया। अब ग्वालियर में सिंधिया समर्थक कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की जुबान फिसल गई।

दरअसल मंगलवार को ग्वालियर के फूलबाग मैदान का निरीक्षण करने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर पहुंचे थे। यहाँ एक कार्यक्रम होना है जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होंगे। मीडिया से बात करते हुए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कार्यक्रम की जानकारी दे रहे थे। तभी उनके मुँह से मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान की जगह माननीय कमल.. निकल गया। गलती का अहसास होते ही उन्होंने बात संभाली और फिर कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी। मंत्री की जुबान का फिसलना राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन रहा है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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