Dabra news: शासन–प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़े 7 गौवंश की मौत।

Gaurav Sharma
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डबरा, सलिल श्रीवास्तव। आज डबरा झांसी एनएच 44 पर सुबह 7 बजे बड़ी ही बेरहमी से किसी अज्ञात वाहन द्वारा 7 गौवंश की नृशंस हत्या कर दी गई। घटना का पता चलते ही गौ सेवक और पुलिस दोनों मौके पर पहुंचे। आपको बता दें यह पहली घटना नहीं है जब किसी अज्ञात वाहन द्वारा मासूम गौवंश की नृशंस हत्या की गई हो, इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी हैं पर प्रशासन ने तो मानो आंखों पर पट्टी बांध रखी हो। डबरा और आस पास के इलाकों की बात करें तो यहां आए दिन बड़े वाहनों से टकराकर गौवंश की मौत की खबरें आती रहती हैं। इतना ही नहीं हर गली, हर चौराहे, हर सड़क पर आपको 3 से 4 गाय और सांड घूमते हुए दिख जाएंगे।

डबरा तहसील में कुछ समय पहले सरकार और प्रशासन द्वारा गौशाला सिंध नदी के किनारे बनाई गई थी। बीते दिनों सिंध में  बाढ़ आने के बाद गौशाला पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। हालांकि बाढ़ आने से पहले भी गौशाला की स्तिथि खराब ही थी, डबरा शहर के गौसेवक लगातार स्थानीय प्रशासन को पिछले काफी समय से गौशाला की स्तिथि से अवगत करा रहे थे, जहां न तो गौवंश के लिए सही तरीके से खाने की व्यवस्था थी, न ही रहने के लिए उचित जगह, पर प्रशासन द्वारा इन बातों को पूर्णतः नजरंदाज किया गया।

इतना ही नहीं आवारा घूम रहे सांडो और गायों से आम जन को भी लागतार खतरा बना रहता है, कुछ दिन पहले ही शहर में एक घटना देखने को मिली जिसमे दो सांड लड़ते लड़ते एक दुकान में जा घुसे जिससे दुकानदार को गंभीर चोटें आई थी, यह इस तरीके की पहली घटना नहीं थी।

Dabra news: शासन–प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़े 7 गौवंश की मौत।

आज हुई इस नृशंस हत्या को लेकर डबरा शहर के गौसेवक काफी नाराज़ हैं, उनका कहना है कि यह घटना न केवल अप्रिय है बल्कि शासन प्रशासन के मुंह पर जोरदार तमाचा है। गौसेवक हरी ओम मिश्र ने आज डबरा एसडीएम प्रदीप शर्मा को इस घटना के बाद आवेदन दिया और मीडिया से बात करते में कहा कि “शासन प्रशासन की लापरवाही से गौशाला होने के बाद भी गौवंश रास्ते पर भटक रहा है। आज सात गौवंश की मौत हुई , प्रदेश भर में प्रतिदिन न जाने कितनी की गायों की मौत होती होगी । उन्होंने कहा कि जो ग्रामीण अंचल में गौशाला बनकर तैयार है वे भी अभी तक बंद हैं, उन्हें भी शुरू कराया जाना चाहिए। गौसेवकों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि, नगर पालिका ना तो चारे की व्यवस्था कर रही है और न ही गौवंश के इलाज के लिए दवा उपलब्ध कराती है। साथ ही पालतू गायों को सड़क पर जो लोग दूध निकाल कर छोड़ देते हैं ऐसे लोगों पर भी सख्त से सख्त कार्यवाही करने की मांग उन्होंने शासन से की है। हरी ओम मिश्रा और बाकी गौसेवकों ने शासन प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अब हमारी बात शासन प्रशासन द्वारा नहीं मानी गई तो गौसेवक सड़कों पर होंगे”

आपको बता दें, गीता, गंगा, गौमाता को सर्वोपरि मानने वाली मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में बड़े ही जोरों शोरों के साथ पूरे मध्यप्रदेश में ‘cow cabinet’ बनाने की घोषणां की थी, जिसका उद्देश्य न केवल गायों का संरक्षण करना बल्कि उनका कल्याण करना भी था। गौ सेवा को धर्म मान गायों की भलाई और सुरक्षा को लेकर सरकार सदैव ही गोवंश के लिए कार्य करती रही है।

Dabra news: शासन–प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़े 7 गौवंश की मौत।Dabra news: शासन–प्रशासन की अनदेखी की भेंट चढ़े 7 गौवंश की मौत।

बात करें मध्यप्रदेश की तो यह पहला ऐसा राज्य बना जिसने वर्ष 2004 में मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषद अधिनियम (Anti cow slaughter act) पारित किया, जिसके अंतर्गत पूरे राज्य में गायों के ट्रांसपोर्ट पर पूर्ण बैन लगाया गया, साथ ही अपराधियों के लिए 7 साल की जेल या 5000 रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान भी लागू किया गया। इतना ही नहीं गौवंश की देखभाल को लेकर सरकार द्वारा कामधेनु अभ्यारण की घोषणां  की गई जिसमें ऐसी गाय जो बूढ़ी हों या बीमार हों या जो अब दूध देने की स्तिथि में ना हों उन्हें रख उनके रखरखाव की बात की गई।

2018 के चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों द्वारा गौवंश संरक्षण के लिए कई घोषणाएं की गई थी , जिनमें गौ अभ्यारण और गौ आश्रय का जाल पूरे मध्यप्रदेश में फैलाने की घोषणां बीजेपी द्वारा और हर पंचायत में गौ शेल्टर बनाने की बात कांग्रेस द्वारा की गई थी। पर आज की घटना के बाद लगता है कि सरकारों की यह नीतियां सिर्फ घोषणाओं तक ही सिमट के रह गई है। आज हुई गौवंश की इस नृशंस हत्या के बाद अब देखना यह है की शासन प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जाएंगे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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