ग्वालियर/अतुल सक्सेना
कोरोना महामारी की मार ने मजदूरों और किसानों की कमर वैसे ही तोड़ रखी है ऊपर से बिजली कंपनी के अधिकारियों की असंवेदनशीलता ने इनका जीना मुहाल कर दिया है। हालात ये है कि 15 दिन से गाँव में बिजली नहीं है और मई की तेज गर्मी में ग्रामीण बिना बिजली के रहने को मजबूर हैं।
ग्वालियर नगर निगम के वार्ड 62 में आने वाला गाँव पदमपुर खेरिया के ग्रामीण पिछले दो हफ्ते से बिना बिजली के रहने को मजबूर हैं। कारण ये है कि इस गाँव को बिजली सप्लाई करने वाली डीपी फुंक गई है जिसे बदलने की गुहार ग्रामीण जन प्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अफसरों से कई बार कर चुके है लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।मई की तेज गर्मी में ग्रामीणों का बुरा हाल है महिलाएं और बच्चे दिन की धूप में भी घर के बाहर रहने पर मजबूर हैं।
खास बात ये है कि इस गाँव में ज्यादातर मजदूर परिवार निवास करते हैं जिनके पास खाने का भी संकट है। यहाँ तक ना तो सरकारी राशन पहुँच रहा है और ना ही सामाजिक संगठन इनके पास तक राशन या अन्य कोई मदद पहुंचा रहे हैं। बाहर से लौटने वाले मजदूरों ने सोचा था कि जैसे तैसे गुजारा कर घर में चैन की नींद लेंगे लेकिन इसे भी बिजली ने छीन लिया। गाँव के कुछ समझदार लोगों ने जब बिजली कंपनी के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि जब तक गाँव वाले पैसा जमा नहीं करेंगे तब तक डीपी नहीं बदली जायेगी। जब ग्रामीणों ने लॉक डाउन का हवाला देते हुए कहा कि काम धंधे बंद है खेती किसानी नहीं है हम पैसा कहाँ से देंगे तो बिजली कंपनी के दीनदयाल नगर कार्यालय पर पदस्थ जूनियर इंजीनियर ने साफ कह दिया कि हमारे पास बिना पैसे जमा किये डीपी बदलने के आदेश नहीं हैं। आप सरकार से बात करो हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। बिजली कंपनी के अधिकारी द्वारा डीपी बदलने से मना करने के बाद ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है। पूरी बात सुनने के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने ग्रामीणों को समस्या के निराकरण का भरोसा दिया है।