ये कैसा सिस्टम, अपने ही बेटे से मिलने के लिए भटक रही एक मां, नहीं कर रहा कोई मदद

Atul Saxena
Updated on -

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अपने ही बेटे से मिलने के लिए मां दर दर भटक रही (Mother wandering to meet son) है, उसके आंसुओं की कद्र किसी को नहीं है। पुलिस के दरवाजे पर फिर गुहार लगाने पहुंची मां के आंसू उसके दर्द और तड़प की गवाही दे रहे थे लेकिन सिस्टम का दिल नहीं पसीज रहा है।

ग्वालियर एसपी (Gwalior Police) ऑफिस पहुंची उमा देवी ने आंसू भरी आँखों और रुंधे हुए गले से बताया कि उसका पति बीएसएफ में है और इस समय जम्मू में पदस्थ है। पिछले दिनों 7 जून को वो घर टेकनपुर आया और उसके पांच साल के बेटे को लेकर चला गया। मैंने पूछा कि क्यों ले जा रहे हो तो बोले घुमाने ले जा रहा हूँ। दो महीने हो गए मैंने बच्चे की शक्ल नहीं देखी।

ये भी पढ़ें – MP Weather: 28 जुलाई को सक्रिय होगा नया पश्चिमी विक्षोभ, इन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अपने शहर का हाल

उमा देवी ने कहा कि उसने पुलिस में शिकायत की, अपने स्तर से पता किया तो मालूम चला कि उनके पति कॉन्स्टेबल निर्भय कुमार ने उसके बेटे प्रणय का भारतीय विद्या निकेतन स्कूल में एडमिशन करा दिया और जम्मू चले गए। पता चलने के बाद उमा कई बार स्कूल गई, प्रबंधन से कहा कि मुझे मेरे बेटे से एक बार मिलवा दो , मैं मिलकर चली जाउंगी लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा, उल्टा मेरे साथ अभद्रता की।

ये भी पढ़ें – Gold Silver Rate : सोना सस्ता, चांदी महंगी, ये है आज का भाव

रो रो कर उमा ने बताया कि मैंने वकील किया, पुलिस वाले के साथ स्कूल गई लेकिन प्रबंधन ने मिलवाने ये कहकर मना कर दिया कि तुम्हारा पति ये कहकर गया है कि बच्चे की जान को खतरा है उसे किसी से मिलने ना दिया जाये। मैं एक मां हूँ मेरे बेटे को मुझसे क्या खतरा हो सकता है? उसने कहा कि मेरी और पति की ज्यादा बात नहीं होती। उमा ने आरोप लगाया कि जब कभी बात होती है तो मेरे पति कहते हैं कि तलाक दे फिर बच्चे को लाऊंगा। लेकिन मैं तलाक नहीं दूंगी।

ये भी पढ़ें – Indore: ट्रोलर्स के निशाने पर रणवीर सिंह, पोस्टर लगाकर लिखा गया ‘मानसिक कचरा’, लोगों ने दान किए पुराने कपड़े

उधर एक मां की गुहार सुनने के बाद एडिशनल एसपी मृगाखी डेका ने कहा कि महिला दो दिन पहले भी आई थी , हमने पति से बात करवा दी थी, पति पत्नी का आपस का झगड़ा है। उनका तलाक भी नहीं हुआ है। पत्नी ये कह रही है कि बच्चा मुझे चाहिए। लेकिन हम ये नहीं कर सकते क्योंकि ये न्यायालय का काम है। हमने महिला को फैमिली कोर्ट जाने की सलाह दी है क्योंकि कोर्ट ही इसमें कोई आदेश दे सकता है।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News