महिला दिवस पर अनोखी प्रतियोगिता, बेलन, हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने घूँघट में चलाया ट्रेक्टर, एसपी ने किया सम्मानित

आईपीएस अनु बेनीवाल का कहना है कि महिला होने के नाते महिलाओं को घूँघट के बाहर की दुनिया दिखाना मेरा फ़र्ज़ था इसलिए हमारी पुलिस ने प्रयास किया और आगे भी महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास करते रहेंगे। आयोजन में विशेष भूमिका निभाने वाले एसडीओपी बेहट संतोष पटेल का कहना है कि  Women का मतलब वीकनेस ऑफ़ मैन नहीं बल्कि विंग ऑफ़ मैन है। जिसके पीछे सशक्त महिला का हाथ है वही ऊँची उड़ान भर सकता है।

International Women's Day

Gwalior News : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, महिलाओं के सम्मान में बड़े बड़े शहर, कार्पोरेट सेक्टर, सामाजिक संस्थाएं अलग अलग तरह के आयोजन कर रही है ऐसे में ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित एक विशेष प्रतियोगिता ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा, यहाँ पुलिस ने महिलाओं के लिए ट्रेक्टर चलाने की प्रतियोगिता आयोजित की और  बेलन व हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने पहली बार ट्रेक्टर की स्टीयरिंग पकड़ी और बहुत खुश नजर आई, ग्वालियर एसपी ने इन सभी महिलाओं को सम्मानित किया।

आज ग्वालियर में भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कई कार्यक्रम हुए, लेकिन ग्वालियर पुलिस का एक आयोजन बहुत खास रहा दरअसल ग्वालियर जिले के ग्रामीण अंचल में बसा है बिजौली थाना, थाने की सीमा में कई जगह अवैध खनन होता है, दबंगई होती है, एसपी राजेश सिंह चंदेल ने पिछले दिनों ग्वालियर जिले  में पोस्टिंग पाने वाली प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी अनु बेनीवाल को इस थाने का इंचार्ज बनाया।

महिला दिवस पर अनोखी प्रतियोगिता, बेलन, हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने घूँघट में चलाया ट्रेक्टर, एसपी ने किया सम्मानित

आईपीएस अनु बेनीवाल ने पुलिस ट्रेनिंग में मिले अनुभव का यहाँ उपयोग किया और धीरे धीरे क्षेत्र में दबंगई और अवैध खनन और उसके परिवहन पर रोक लग गई, आज अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर IPS अनु बेनीवाल ने एसडीओपी संतोष पटेल के सहयोग से महिलाओं के लिए एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की।

महिला दिवस पर अनोखी प्रतियोगिता, बेलन, हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने घूँघट में चलाया ट्रेक्टर, एसपी ने किया सम्मानित

थाने की सीमा में आने वाले ग्राम रतवाई में ग्रामीण महिलाओं के लिए ट्रेक्टर चलाने की प्रतियोगिता आयोजित की गई, विशेष बात ये रही पुलिस की देखरेख में पहले महिलाओं को ट्रेक्टर चलाने की टर्निंग दी गई फिर आज उन्हें प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका दिया, इसमें उन महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जो कभी घर की चार दिवारी से बाहर नहीं निकली, उनका जीवन लंबे से घूँघट में बीत गया।

महिला दिवस पर अनोखी प्रतियोगिता, बेलन, हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने घूँघट में चलाया ट्रेक्टर, एसपी ने किया सम्मानित

पुलिस के नवाचार और परिवार के सहयोग से आज इस प्रतियोगिता में पहले बार बेलन, हसिया पकड़ने वाली महिलाओं ने घूँघट में ट्रेक्टर चलाया इतना ही नहीं उन्होंने बुवाई और जुताई के लिए ट्रेक्टर में लगने वाले उपकरणों का भी प्रयोग कर दिखाया, अनोखी प्रतियोगिता की जानकारी लगते ही एसपी राजेश सिंह चंदेल रतवाई गाँव पहुंचे और प्रतियोगिता में शामिल होने वाली महिलाओं को सम्मानित किया, एसपी ने आईपीएस अनु बेनीवाल को भी सम्मानित किया।

उत्साहित महिलाओं के कुछ ये दिया रिएक्शन 

प्रतियोगिता में भाग लेने वाली वाली कमलेश जाट बोली मैंने बेलन और हसिया ही पकड़ा पहली बार ट्रेक्टर की स्टेयरिंग पकड़ी है, आज ट्रेक्टर चलाकर , जुताई बुवाई करके बहुत अच्छा लगा अब मुझे भरोसा है कि मैं खेत में ट्रक्टर चला सकती हूँ और परिवार का हाथ खेत में भी बटा सकती हूँ । प्रतियोगिता में शामिल होने वाली नई बहुएं भी बहुत उत्साहित और खुश नजर आई।

पुलिस अफसरों ने बताया आयोजन का मकसद

गाँव के बुजुर्ग भँवर सिंह राणा का कहना था कि हमारी बहुएं जो पुलिस को देखकर घर के अंदर कुंडी लगा लेती थीं आज वो पुलिस के साथ दिखाई दे रही है कुछ बहुओं का चेहरा मैंने पहली बार देखा है, ये ट्रेक्टर भी चलायेंगी ये कभी सोचा नहीं था। आईपीएस अनु बेनीवाल का कहना है कि महिला होने के नाते महिलाओं को घूँघट के बाहर की दुनिया दिखाना मेरा फ़र्ज़ था इसलिए हमारी पुलिस ने प्रयास किया और आगे भी महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास करते रहेंगे। आयोजन में विशेष भूमिका निभाने वाले एसडीओपी बेहट संतोष पटेल का कहना है कि  Women का मतलब वीकनेस ऑफ़ मैन नहीं बल्कि विंग ऑफ़ मैन है। जिसके पीछे सशक्त महिला का हाथ है वही ऊँची उड़ान भर सकता है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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