खंडवा, डेस्क रिपोर्ट। कुबेर देवता (kuber) का पहला मंदिर मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित है। वहीं दूसरा उज्जैन के संदीपनी आश्रम में है तो मध्य प्रदेश का तीसरा कुबेर देवता का मंदिर खंडवा जिले के ओमकारेश्वर मंदिर में है। कहा जाता है कि यहां की मान्यता काफी ज्यादा है। यह सिर्फ कुबेर देवता के दर्शन मात्र से ही धन की समस्या दूर होने लगती है। वहीं उनकी कृपा भी बरसती है। यहां दूर-दूर से लोग कुबेर देवता के दर्शन के लिए आते हैं।
साथ ही धन धान्य की प्राप्ति के लिए भी उनसे मन्नत करते हैं। आपको बता दें, मध्य प्रदेश के अलावा कुबेर देवता का मंदिर अल्मोड़ा उत्तराखंड, पुणे महाराष्ट्र, रतन मंगलम चेन्नई, कर्नाली बड़ौदा में भी स्थित है। ये सभी प्रसिद्ध तीर्थों में गिने जाते हैं। यहां दूर-दूर से लोग उबरे देवता के दर्शन के लिए आते हैं। ये मंदिर काफी ज्यादा प्रसिद्ध होने के साथ-साथ यहाँ की मान्यता भी खूब है।
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अब बात करें ओंकारेश्वर में स्थित कुबेर देवता के मंदिर को तो यहां कावेरी नदी के संगम पर कुबेर भंडारी का प्राचीन मंदिर बना हुआ था। ऐसे में कुबेर देव ने यहां घोर तपस्या कर के शिवलिंग की स्थापना की थी। लेकिन ये बैक वाटर में जलमग्न हो गया। जिसके बाद फिर से शासन ने एक ट्रस्ट बनाकर नया कुबेर भंडारी का मंदिर स्थापित किया।
इसके बाद से ही यहां की मान्यता काफी ज्यादा है। यहां दिवाली तक भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। धनतेरस के दिन यहां सबसे ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इतना ही नहीं यहां रात्रि जागरण का आयोजन भी करवाया जाता है। साथ ही अभिषेक पूजन के बाद कुबेर महालक्ष्मी का महायज्ञ भी किया जाता है।
पौराणिक महत्व –
मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने कुबेर देवता को धनपति बनाया था। दरअसल कुबेर देवता भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। ऐसे में कुबेर को शिवभक्त और धन के स्वामी के साथ संसार का रक्षक भी माना जाता है। मान्यता ये भी है कि कुबेर देवता के स्नान के लिए अपनी जटाओं से कावेरी नदी उत्पन की थी।
इस मान्यता है कि कुबेर देवता ये इस्लाम के लिए शिवजी ने अपने से टाउन से कावेरी नदी को उत्पन्न किया था कि मैं ऐसे में ये कावेरी नदी ओमकार पर्वत का चक्कर लगाकर नर्मदा नदी से मिलती है न इसलिए इसे नर्मदा कावेरी का संगम भी कहा जाता है यहाँ पर कावेरी नदी कुबेर मंदिर के 5 बहती है है जो आगे जाकर नर्मदा नदी से मिल जाती है ओमकार पर्वत का चक्कर लगा कर नर्मदा नदी से मिलती है। ये नदी कुबेर मंदिर के पास से बहते हुए नर्मदा से मिलती है।