खंडहर में तब्दील हो गया करोड़ो का बीओटी कॉम्प्लेक्स,भवन में भरा पानी

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। जिले की इटारसी तहसील (itarsi tehsil) का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बीओटी कॉम्प्लेक्स(BOT Complex)अब खंडहर में तब्दील हो गया है। साथ ही इसमें भरा हुआ पानी दुर्घटनाओं के साथ बीमारियों को भी जन्म दे रहा। सालों से भरे पानी से आ रही बदबू के कारण लोग परेशान है। कॉम्प्लेक्स के पुनः निर्माण के लिए सालो से मांग उठ रही पर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इटारसी नगरपालिका (Itarsi Municipality) द्वारा नए नगरपालिका कार्यालय के साथ बड़े व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स की नींव तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश बल्लभ सोनी ने रखी थी। 2 साल काम भी जोरो पर चला पर फिर उनकी दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद लगभग 14 सालो से काम बंद पड़ा है।

भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गया है, साथ ही इसके तलघर में 10 से 12 फिट पानी जमा हो गया है। कई बार इसमें मवेशी भी गिरकर मृत्यु की आगोश में चले जाते है। जनहानी की तो आशंका है ही साथ ही इसमें जो सालो से पानी भरा हुआ है, उसकी बदबू से आस पास के दुकानदार परेशान है। बीमारी का खतरा तो अलग ही हे साथ ही इसमें बड़ी बड़ी झाड़िया उग गई है। कोई जनहानी हुई तो उसका जिम्मेदार कोन होगा ये भी बड़ा सवाल है । कल ही स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने यहां बैठके धरना दिया था, साथ ही इसमें जमा पानी को निकालने के लिए अनुविभागीय अधिकारी मदन सिंह रघुवंशी को ज्ञापन भी दिया था। अब देखना ये है कि प्रशासन इस ओर ध्यान देता है या ये ऐसे ही खंडहर बना रहेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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