स्वछता सर्वेक्षण के लिए केवल मुख्य क्षेत्रों की हुई सफाई, कई इलाके सालों से पड़े हुए गंदे

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल।स्वछता सर्वेक्षण में शहर को नंबर 1 बनाने के लिए इटारसी की नगरपालिका भी जोर शोर से स्वच्छता का संदेश दे रही है। जगह जगह सफाई अभियान चल रहे है। लोगों को साफ सफाई के लिए जागरूक किया जा रहा है। पर स्वछता में शहर को 1 नंबर दिलाने के लिए केवल मुख्य क्षेत्रो में ही काम हो रहे है, कुछ जगह आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी।

ऐसे कई क्षेत्र है जो गंदगी से पटे हुये है, जिनमें से सुरजगंज के पास बांस डिपो के पीछे का इलाका है, जहां सालों से सफाई नहीं हुई है। यहां के रहवासी गंदगी में रहते है। इस इलाके में कच्ची शराब बनाने का काम भी होता है। इलाके के नागरिकों द्वारा कई पक्की सीमेंटेड सड़को को अतिक्रमण कर बंद कर दिया गया था।

ऐसे ही न्यास कॉलोनी के पास ओझा बस्ती, रजत कॉलोनी,साई की बगिया के पीछे का इलाका जहां पूरे नगर का कचरा डाला जाता है। जिसके कारण यहां के रहवासी गंदगी में रहने को मजबूर है। नगर को स्वच्छता में नबर 1 बनाना है तो इन पिछड़े हुए इलाको पर विशेष ध्यान देना चाहिए यहाँ से अवैध रूप से सड़कों पर किये गए अतिक्रमण को तोड़ा जा चाहिए।

वहीं इटारसी के मुख्य नगर पालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले का कहना है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के लिये शहर में निरंतर सफाई अभियान जागरूकता यात्राओं के माध्यम से हम लोगो से अपील कर रहे है। आज यह मामला संज्ञान में आया है। गंभीरता से इस ओर ध्यान दिया जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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