फसल निगरानी दल द्वारा ग्रामों में किया जा रहा है सतत् निरीक्षण, किसानों को दी जानकारी

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद,राहुल अग्रवाल। जिले में फसलों को कीट व्याधि के प्रकोप से बचाव हेतु फसल निगरानी दल द्वारा सतत् निरीक्षण किया जा रहा है। निगरानी दल द्वारा विकासखण्ड बाबई के ग्राम मंगरिया, चांदला, सांगाखेड़ाकलां, कडैया व चीलाचौन आदि ग्रामो में फसलो का निरीक्षण किया गया है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट रोग से पौधे के पत्तियों के किनारे ऊपरी भाग से शुरू होकरमध्य भाग तक सूखने लगते है। सूखे पीले पत्तों के साथ-साथ राख के रंग जैसे धब्बे भी दिखाई देते हैं एवं पूरी फसल झुलसी प्रतीत होती है। इसके प्रबंधन के लिए खेत में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया की टाप ड्रेसिंग नहीं करनी चाहिए एवं कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 400 ग्राम प्लस स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 30 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।

वहीं धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ स्ट्रीक के कारण धान की पत्तियों की नसों के बीच भूरे रंग की धारियां बन जाती है, इस रोग के नियंत्रण हेतु कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का सुगामाइसिन 300 ग्राम अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 400 ग्राम, स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 30 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। इसके अलावा धान में ब्लास्ट रोग अर्थात पत्तियों पर नाव के समान धब्बे जिनके चारो ओर भूरापन दिखाई पड़ता है, उसके नियंत्रण के लिए ट्राईसाईक्लाजोल एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। वहीं उड़द की फसल में पीला मोजक रोग के नियंत्रण हेतु किसान थयोमेथेक्जाम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।