होशंगाबाद जिला अस्पताल में ICU बने बीता डेढ महीना, एमडी के नहीं होने से मरीजों को किया जा रहा भोपाल रेफर

Gaurav Sharma
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hoshangabad district hospital waiting for MD

होशंगाबाद, राहुल अग्रवाल। प्रशासन की लापरवाही कहे या जनप्रतिनिधियों के चुनाव में व्यस्तता पर इसका असर मरीजों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। होशंगाबाद जिला अस्पताल के कोविड आईसीयू के लिए अभी तक एमडी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जबकि आईसीयू को तैयार हुए डेढ महीना बीत चुके हैं। सीएमएचओ सहित चारों विधायक, कलेक्टर, कमिश्नर और प्रशासनिक अधिकारी अपनी तरफ से शासन से एमडी डॉक्टर लाने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन उनके प्रयास भी फेल हो गए हैं। शासन से अभी तक एक भी एमडी डॉक्टर अस्पताल को नहीं मिला है।

इस मामले में एक बार फिर स्वास्थ्य आयुक्त संजय गोयल ने जवाब दिया कि एमडी डॉक्टर की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया चल रही है। लेकिन कब तक नियुक्ति होगी इस बारे में नहीं बता पाए। जल्द ही एमडी नियुक्त करने का आश्वासन दिया है। इधर, जिला पंचायत सीईओ और कोरोना नोडल अधिकारी मनोज सरियाम ने बताया कि शासन की ओर से हमें कोई पत्र व जानकारी एमडी डॉक्टर की नियुक्ति को लेकर नहीं मिली है। हम एक बार फिर शासन को रिमाइंडर भेजेंगे।

मरीज को मजबूरी में भोपाल ले गए थे परिजन

जिला अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी है। 10 अक्टूबर को जिला अस्पताल के डीसीएससी डिस्ट्रिक्ट कोविड केयर सेंटर में पिपरिया निवासी किसान दिनेश पटेल जनकी उम्र 50 साल है वो भर्ती थे। उनका ऑक्सीजन लेवल घट गया था, उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी। तबीयत बिगड़ने पर परिजनों को उन्हें भोपाल ले जाना पड़ा था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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