भ्रष्ट वन अधिकारी को आखिर किसका संरक्षण? तत्कालीन DFO के निलंबन की मांग

Atul Saxena
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Hoshangabad/Narmadapuram News : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस पर काम कर रही है, सीमे शिवराज के सख्त निर्देश हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अधिकारी कर्मचारी को बक्शा नहीं जाए, मुख्यमंत्री स्वयं भी लगातार कार्यक्रम के मंच से ही भ्रष्ट और लापरवाह अफसरों को निलंबित कर रहे हैं बावजूद इसके होशंगाबाद वन विभाग का एक ऐसा मामला है जिसमें संरक्षण के चलते करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के दोषी तत्कालीन डीएफओ के खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर अफसरों ने उनका प्रमोशन ही कर दिया, कर्मचारी संघ को इसके खिलाफ कोर्ट जाना पड़ा, वन कर्मचारी संघ ने भ्रष्टाचार के दोषी होशंगाबाद के तत्कालीन DFO अजय कुमार पांडेय को निलंबित करने की मांग की है।

होशंगाबाद में सामान्य वन मंडल में 2018 से 2020 तक पदस्थ रहे डीएफओ अजय कुमार पांडेय  (DFO Ajay Kumar Pandey) के खिलाफ आखिरकार शासन ने अब आरोप पत्र दाखिल करने की कार्यवाही शुरू की है, लेकिन मजेदार बात ये है कि अजय कुमार पांडेय के विरुद्ध 17,63,400/- रुपए के औषधि बीज खरीदी घोटाले एवं फर्जी वन भ्रमण दर्शाने की शिकायत मिलने बाद दो मुख्य वन संरक्षकों से जांच कराई गई जिसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई, लेकिन शासन ने आरोपी DFO के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया।

अजय कुमार पांडेय के भ्रष्टाचार की सन 2019 में शिकायत करने वाले वन कर्मचारी संघ के संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने बताया कि डीएफओ अजय कुमार पांडेय द्वारा षड्यंत्रपूर्वक फर्जी कोटेशन अपने कार्यालय में ही बनवा कर, जिसमें कोराडी जैसे अनजान स्थान जो मध्य प्रदेश में ही नही है भी शामिल है, बिना क्रय समिति से अनुमोदन कराए गुपचुप तरीके से बिना बीजों की मात्रा का सत्यापन कराए, बिना अंकुरण परीक्षण कराए भुगतान भी कर दिया, जिसमें आश्चर्यजनक रूप से 26,400 किलो ग्राम आमा हल्दी के कंद है, जो लगभग 2 ट्रक में ही आ सकते थे।

चौंकाने वाली बात तब हुई जब इतना बीज बोने के बाद कुछ भी बीज वापस प्राप्त नहीं हुआ जो डीएफओ अजय कुमार पांडेय के आर्थिक भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा था। उन्होंने बताया कि लगभग 3 करोड़ रुपए के बाह्य औषधि बीज योजना में खर्च बताए गए है परंतु पिछले 4 वर्षो में 100 रुपए का बीज भी प्राप्त न होना भ्रष्टाचार की कहानी खुद ही कह रही थी। वन कर्मचारी नेता ने कहा कि इस पूरे मामले में मनमानी दरों से भुगतान बताया गया है।

मधुकर चतुर्वेदी ने बताया कि नियमानुसार डीएफओ अजय कुमार पांडेय को केवल राशि 50,000/- रुपए मूल्य के बीज खरीदने या संग्रहण कराने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने इसके विपरीत जाकर ये काम किया, अजय कुमार पांडेय अपनी डायरी में 3 वर्षो में फर्जी वन चेकिंग दर्शाकर मुख्य वन संरक्षक को रिपोर्ट भी भेजते रहे, जिनमें वे क्षेत्र भी शामिल कर लिए जो होशंगाबाद वन मंडल में हैं ही नहीं, उन्होंने कहा कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भागवत सिंह और मुख्य वन संरक्षक श्री भारद्वाज के साथ भी फर्जी दौरा निडर होकर दर्शाने की जांच रिपोर्ट समिति ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पूरे कार्यकाल में फर्जी बीट निरीक्षण किये जाने की जांच अधिकारियों की रिपोर्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने शासन से छुपाना भ्रष्ट अजय पांडे को बचाने का प्रयास ही है ।

वन कर्मचारी नेता ने बताया कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, शिकायत एवं सतर्कता ने शिकायत की जांच वर्ष 2019 में कराई जो सत्य पाई गई एवं मुख्य वन संरक्षक, नर्मदापुरम की रिपोर्ट को डीएफओ अजय कुमार पांडेय अपने वरिष्ठ अधिकारियों और लोकायुक्त को गुमराह कर दबवाने में सफल रहे। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उनके इस कारनामे की जांच रिपोर्ट DPC से छिपा कर रखी, जिससे डीएफओ अजय कुमार पांडेय दिनांक 1 जनवरी 2022 से पदोन्नत होकर  वन संरक्षक हो गए ।

मधुकर चतुर्वेदी ने विभागीय अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने डीएफओ अजय कुमार पांडेय के भ्रष्टाचार को संरक्षण प्रदान करते हुए लोकायुक्त को औषधि बीज घोटाले की जांच को दबाने में मदद की और असफल (योजना) रोपण क्षेत्र को सफल बताने की रिपोर्ट भी लोकायुक्त को भेज दी गई। जिन्होंने उसे सत्य मानकर प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया था परंतु शासन की जांच से डीएफओ अजय कुमार पांडेय की पोल खुलती जा रही है ।

हालांकि आरोप पत्र बनाने वाले अधिकारी, डीएफओ अजय कुमार पांडेय से कनिष्ठ अधिकारी है परंतु उनकी छवि निष्पक्ष अधिकारी की है। उन्होंने कहा कि यह भी विचारणीय है कि जब वर्ष 2020 में तत्कालीन डीएफओ अजय कुमार पांडेय दोषी थे तो  डीएफओ अजय कुमार पांडेय को उसी वर्ष किस कारण से निलंबित नहीं किया गया , जबकि छोटे कर्मचारियों को जरा सी गलती पर निलंबित कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि विभाग अधिकारियों की इस आर्थिक भ्रष्टाचार के विषय में उदासीनता से व्यथित होकर उन्होंने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई जिसके बाद शासन ने प्रकरण में गंभीरता से कार्यवाही प्रारंभ की है। वन कर्मचारी संघ के संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने शासन से मांग की है कि भ्रष्टाचार के दोषी तत्कालीन डीएफओ अजय कुमार पांडेय को तत्काल निलंबित किया जाये।

भ्रष्ट वन अधिकारी को आखिर किसका संरक्षण? तत्कालीन DFO के निलंबन की मांग


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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