INDORE NEWS : राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के चलते अमानक बीज, अमानक कीटनाशक, अमानक खाद, की बिक्री धड़ल्ले से जारी का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा इन पर कार्रवाई नहीं करने से ये खेती-किसानी चौपट कर रहे हैं। किसान कर्ज के दलदल में धंसता जा रहा है और ऐसे में संर्पूण ऋण मुक्ति के आलावा कोई विकल्प नहीं है।
मोर्चे का ऐलान
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष एवं संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिवकुमार कक्काजी ने शुक्रवार को प्रेस से चर्चा के दौरान प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछले 3 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ 13 राज्यों के विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा झंडी दिख्शाकर 40 दिवसीय यात्रा शुरू की गई है। अटल पथ दिल्ली से शुरू हुई यात्रा मध्यप्रदेश के 15 जिलों में 5000 किलोमीटर घूमेगी। संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा निरंतर किसानों और मजदूरों के हितों की उपेक्षा की जा रही है। मोर्चा ने आरोप लगाया कि एनडीए की मोदी सरकार द्वारा 5 जून 2020 को एक अध्यादेश में तीन नए कानून लाए गए थे, जिसका किसानों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा था और 378 दिनों तक चले आंदोलन के बाद अंतत: सरकार को यह कानून वापिस लेना पड़ा है। 19 नवंबर 2021 में पीएम मोदी ने कानून वापिस लेने की घोषणा की थी। नए कानून वापिस लेते समय सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा की फसलों की एमएसपी पर खरीदी की गारंटी कानून, आंदोलन के दौरान किसानों पर लादे गए प्रकरण वापिस लेने, पराली जलाने वाले किसानों पर दंण्ड का प्रावधान समाप्त करने, शहीद हुए 750 किसान परिवारों को मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी देने तथा बिजली कानून जैसी 5 मांगों को स्वीकार किया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
2012 के प्रकरण वापिस नहीं लिए
कक्काजी ने कहा कि 7 मई 2012 को रायसेन जिले की बरेली तहसील मुख्यालय में हुए गोलीकांण्ड मामले में सरकार ने झूठे प्रकरण बनाकर किसानों को जेल में डाल दिया था। उस समय सरकार ने किसान संगठनों को आश्वस्त किया था कि मुकदमें वापिस लिए जाएंगे। इस प्रकरण की रिपोर्ट सरकार ने दबा रखी है, मांग है कि यह प्रकरण विधानसभा में पटल पर रखा जाए।
इंदौर से शकील सिकंदर की रिपोर्ट