इंदौर, आकाश धोलपुरे। अमूमन सरकारी अस्पतालों की छवि ऐसी होती है कि वहां जाने से कई मरीज घबराते हैं। साफ-सफाई की कमी, व्यवस्थाओं में लापरवाही, स्टाफ द्वारा उपेक्षा की कई खबरें हमने कई बार सुनी हैं। कोरोना संकटकाल में तो सरकारी अस्पतालों पर पड़ने वाले दोहरे बोझ ने इन स्थितियों को और गंभीर ही किया है। लेकिन हाल ही में जो वाकया सामने आया, वो सरकारी अस्पताल की मरीजों के प्रति समर्पण की शानदार मिसाल है।
धार के रहने वाले 80 वर्षीय सुरेश तिवारी 22 सितंबर से इंदौर के एमटीएच अस्पताल (MTH hospital) में भर्ती थे। ये पहले आर्मी मे थे और सेवानिवृत्त होने के बाद मनावर के एक हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रिसिंपल रहे हैं और कोरोना संक्रमण के बाद यहां भर्ती हुए थे। सोमवार को जब वो ठीक होकर डिस्चार्ज हो रहे थे तो उनसे यहां की व्यवस्थाओं और इलाज के बारे में पूछा गया। इस सवाल पर सुरेश तिवारी, जिन्हें जानकारी नहीं थी कि वे इंदौर के एमटीएच अस्पताल में भर्ती हैं, उन्होने कहा कि ये धार का एम्स है। इसके बाद उन्हें बताया गया कि वो इंदौर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती थे। ये जानने के बाद इस बुजुर्ग मरीज ने इस अस्पताल की सुविधाओं और स्टाफ के व्यवहार को लेकर संतोष जताया। बता दें कि एमटीएच अस्पताल को फिलहाल कोरोना केयर सेंटर के रूप में तब्दील किया गया है और यहां कई कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है।