इंदौर।स्पेशल डेस्क रिपोर्ट।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व उपाध्यक्ष और पार्षद उस्मान पटेल द्वारा सीएए, एनआरसी और एनआरपी के विरोध के चलते जहाँ शनिवार को इस्तीफा देकर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी थी। बीजेपी यहां संभली ही नही थी कि सोशल मीडिया पर देर रात को एक लेटर हेड जमकर वायरल हुआ जिसमें बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष मंजूर अहमद के इस्तीफे की बात सामने आई।
बकायदा इस लेटर हेड पर केंद्र की मुस्लिम विरोधी नीतियों का जिक्र किया गया वही बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर भी सवाल उठे और बीजेपी नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा के नाम पर भेजे गए इस्तीफा पत्र में अन्य बाते भी शामिल थी जिसे चुनावी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा था। जैसे ही सोशल मीडिया पर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नगर अध्यक्ष का लेटर वायरल हुआ ।
वैसे ही इंदौर में बीजेपी की राजनीति में उबाल आ गया। ऐसे में अचानक देर रात को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें लेटर के फर्जी होने की बात स्वयं बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष मंजूर अहमद ने कही। उन्होंने साफ किया कि ना तो उनको इस्तीफा देना है और ना ही बीजेपी छोड़ना है । उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हुई पत्र को फर्जी करार देकर इस पत्र को उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश बताया। मंजूर अहमद ने साजिशकर्ताओं पर आरोप लगाने के साथ कड़ी कानूनी कार्रवाई की बात भी कही।
एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से बातचीत के दौरान मंजूर अहमद ने बताया ये जो कुछ हुआ ये सब उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक साजिश है जिसे उनकी पार्टी के ही लोग उनकी बेदाग छवि को धूमिल करने के चलते रच सकते है वही उन्होंने इस मामले में कांग्रेस पर भी निशाना साधा। इसके साथ बीजेपी पार्षद उस्मान पटेल के इस्तीफे को लेकर मंजूर अहमद ने कहा है निगम चुनाव नजदीक है और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया। वही पत्र में बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर उठाए गये सवालो को लेकर उन्होंने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय को वो अपना बड़ा भाई मानते है और जिसने भी साजिश की है उसके खिलाफ वे कानूनी कदम उठाएंगे। फिलहाल, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नगर अध्यक्ष मंजूर अहमद की पुष्टि के बाद ये तो साफ हो चला है कि बीजेपी की इंदौर की राजनीति में सब कुछ ठीक नही चल रहा है और सवाल ये भी उठ रहे है बीजेपी की अल्पसंख्यक राजनीति में इस्तीफे के बवाल पर अब सवाल उठ रहे है जिनके जबाव भी स्वयं बीजेपी को तलाशने होंगे क्योंकि खुद को अनुशासन का प्रहरी बताने वाली बीजेपी की अल्पसंख्यक राजनीति की डगर डगमगाती नजर आ रही है जिसे संभालना फिलहाल, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।