इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर लोकायुक्त टीम ने सोमवार को दो अलग – अलग कार्रवाई कर दो भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों पर नकेल कस उन्हें रंगेहाथ धर दबोचा। सुबह के बाद शाम को लोकायुक्त ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए इंदौर के पालिका प्लाजा पर धावा बोलकर योजनाबद्ध तरीके से स्वास्थ्य के कार्यपालन यंत्री राकेश कुमार सिंघल को 12 लाख की रिश्वत लेते धर लिया। दरअसल, कार्यपालन यंत्री ने 1 करोड़ से अधिक के बिल को पास करने के एवज में फरियादी कंपन से रिश्वत मांगी थी जिसके बाद लोकायुक्त की टीम ने सोमवार शाम को एमटीएच कंपाउंड में कार्रवाई कर भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
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बता दे कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री राकेश कुमार सिंघल ने विभाग के नलकूप और इलेक्ट्रिक मेंटेनेंस के काम में आरडी कंपनी से रिश्वत की मांग की थी। क्योंकि कंपनी का मेंटेनेंस शुल्क बकाया था और मामला कोर्ट पहुंचा था जिसके बाद कोर्ट ने कंपनी के पक्ष निर्णय देते हुए स्वास्थ्य विभाग को बकाया शुल्क भुगतान करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में कुल एक करोड़ 40 लाख रुपए के ऑर्डर पर पहले चरण 1 करोड़ से ज्यादा रुपये का भुगतान होना है। जिस पर भ्रष्ट अधिकारी ने कंपनी मालिक से 17% रिश्वत मांग की और वह 5 लाख रुपये पहले ही ले चुका था।
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इसके बाद योजना के मुताबिक लोकायुक्त ने पहले रिकॉर्डडिंग करवाई और पालिका प्लाजा के नियत स्थान पर साढ़े 11 लाख रुपए का चेक और 50 हज़ार रुपये नगद लेते हुए भ्रष्ट कार्यपालन यंत्री को गिरफ्तार कर लिया वही लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने बताया कि कार्यपालन यंत्री स्वास्थ्य राकेश कुमार सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारणअधिनियम के तहत केस दर्ज जांच शुरू कर दी है। इंदौर में जहां सुबह कलेक्टर कार्यालय के खाद्य विभाग के आपूर्ति अधिकारी 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते धरा था वही देर शाम को 12 लाख की रिश्वत लेने वाले स्वास्थ्य विभाग कार्यपालन यंत्री को रंगे हाथ धर दबोचा है। ऐसे में सवाल ये उठ रहे है कि शासकीय अधिकारी क्या बिना रिश्वत के काम नही करते है और यदि ऐसा करते है विभाग प्रमुख उन्हें क्यों नही रोकते है।