इंदौर।
कल 28 नबंवर को चुनाव होना है।इसके पहले नोटा को लेकर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने आयोग से पूछा है कि नोटा के प्रचार और पहचान के लिए क्या कदम उठाए। आज हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की । इस संबंध में अगली सुनवाई चुनाव के दो दिन बाद यानि 30 नवंबर को होगी।
दरअसल, आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नोटा ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए आयोग से पूछा कि ईवीएम में नोटा की पहचान और उसके प्रचार के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा और जस्टिस वीरेंदर सिंह की बेंच याचिका सुनने के बाद चुनाव आयोग को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है । हाईकोर्ट अब 30 नवंबर यानी विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद इस पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता यशवंत अग्निहोत्री ने याचिका में मांग की है कि जिस तरह राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न है, उसी तरह नोटा के लिए भी चिह्न होना चाहिए।
क्या है नोटा(None of the above)
फर्ज कीजिए कि आपको किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे। इसलिए निर्वाचन आयोग ने ऐसी व्यवस्था की कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि यह दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है। यानी अब चुनावों में आपके पास एक और विकल्प होता है कि आप इनमें से कोई नहीं का भी बटन दबा सकते हैं। यानी आपको इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी NOTA का गुलाबी बटन होता है।नोटा उम्मीदवारों को खारिज करने का एक विकल्प देता है। ऐसा नहीं है कि वोटों की गिनती की समय उनके वोटों को नहीं गिना जाता है, बल्कि नोटा में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आकलन किया जाता है। चुनाव के माध्यम से पब्लिक का किसी भी उम्मीदवार के अपात्र, अविश्वसनीय और अयोग्य अथवा नापसन्द होने का यह मत केवल यह सन्देश मात्र होता है कि कितने प्रतिशत मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते हैं।