Indore News: इंदौर, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और एक विकासशील नगर के रूप में मानी जाती है, लेकिन आने वाले समय में यहाँ जलप्रबंधन एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। दरअसल इंदौर पूरा नर्मदा नदी पर ही निर्भर है और वहीं नदी में हो रही पानी की कमी के कारण यहाँ की जल संभावनाओं में खतरा बढ रहा है। दरअसल नदी का प्रवाह धीरे धीरे कम हो रहा है। जिससे यह चिंता बढ़ रही है।
15% पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है:
हालांकि निगम के भूजल स्तर में सुधार की बात तो कही गई है, लेकिन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ क्षेत्र अभी भी क्रिटिकल जोन में हैं। इसके कारण जिला प्रशासन ने बोरिंग पर रोक लगा दी है। दरअसल नदी का करीब 15% यानी 50 एमएलडी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है। आपको बता दें की इंदौर शहर की आबादी लगभग 30 लाख है। वहीं आने वाले समय में शहर की आबादी 70 लाख तक हो सकती है। जिसको लेकर अब जल प्रबंधन की चूनौती शहर में नजर आ रही है।
केंद्र की रिपोर्ट:
इंदौर में घरों की संख्या बढ़ रही है, जिसके लिए सिर्फ रेन वाटर हार्वेस्टिंग का ही समाधान नहीं है। नगर निगम ने अभियान चलाकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया था, लेकिन फिर भी जलसंकट की स्थिति गहरी है। दरअसल केंद्र की रिपोर्ट में इंदौर के कुछ इलाकों को भी क्रिटिकल जोन में डाला है। वहीं पानी की कमी का एक मुख्य कारण नर्मदा नदी ही नहीं है।
दरअसल केंद्र की रिपोर्ट में जिन्हे क्रिटिकल जोन में डाला है वहां भूजल स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिली है। वहीं अब इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने 30 जून तक बोरिंग पर रोक लगा दी है। दरअसल रिकॉर्ड की बात की जाए तो सरकारी रिकॉर्ड में 6 हजार बोरिंग हैं, जबकि 60 से 70 हजार निजी बोरिंग है।जलप्रदाय की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट्स ने इंदौर के लिए अन्य जल स्रोतों के विकास की मांग की है। इसके अलावा, वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत भी है।
इस रूपरेखा में स्पष्ट है कि इंदौर के जलप्रबंधन में सुधार की जरूरत है और समय पर उपाय नहीं बदला गया तो यह गंभीर समस्या बन सकती है। हालांकि नगर निगम, प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की जरूरत है।