Indore News : गौरव कलश यात्रा की तैयारियों को लेकर प्रशासन मुस्तैद।

इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। इंदौर शहर के समीप स्थित पातालपानी में टंट्या भील की जन्मस्थली पर 4 दिसम्बर को भव्य आयोजन होना है, जिसकी तैयारियों का जायजा लेने के लिए अधिकारियों के साथ साथ बीजेपी के जनप्रतिनिधि भी पहुंचे रहे हैं। पर सुबह से लगातार हो रही बारिश ने कहीं न कहीं प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

टंट्या भील की स्मृति में आयोजित होने वाले स्मृति कार्यक्रम को लेकर, इंदौर जिला प्रशासन के साथ ही बीजेपी की तरफ से भी तमाम तैयारियां की जा रही हैं। आपको बता दें इस कार्यक्रम के तहत इंदौर में आने वाली गौरव कलश यात्रा को लेकर प्रशासन और भाजपा द्वारा अलग-अलग अपने स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।

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इसी कड़ी में आज जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी नेहरू स्टेडियम में तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे, जहां बारिश के कारण हुई अव्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों ने चर्चा की। भाजपा नगर अध्यक्ष का कहना है कि गौरव कलश यात्रा को लेकर इंदौर शहर में पार्टी स्तर पर विभिन्न तैयारियां की गई हैं और इस कलश यात्रा का पूरे शहर में स्वागत भव्य तरीके से किया जाएगा। इसके अलावा इंदौर में जनजातीय समुदाय के द्वारा कुछ कार्यक्रम भी  प्रस्तुत किए जाएंगे। गौरतलब है कि इंदौर के पातालपानी में आयोजित होने वाले टंट्या भील स्मृति कार्यक्रम के मद्देनजर दो यात्राएं कल इंदौर पहुंचेगी।  यात्रा 3 और 4 दिसंबर को इंदौर में ही रहेंगी। 4 दिसंबर को यह यात्रा इंदौर से रवाना होगी जहां पूरे यात्रा मार्ग पर इसका भव्य तरीके से स्वागत किया जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।