बांग्लादेशी युवतियों को अवैध रूप से लाने वाले 2 एजेंट गुजरात से गिरफ्तार, इंदौर लाया गया

Gaurav Sharma
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Two vicious agents in indore

इंदौर, आकाश धोलपुरे। हाल ही में इंदौर (indore) में बांग्लादेशी युवतियों (Bangladeshi girls) को बंधक बनाकर उनसे देह व्यापार कराने वाले एक बड़े गैंग का पर्दाफाश इंदौर पुलिस और क्राइम ब्रांच ने किया था। अब इस गिरोह के दो शातिर एजेंट भी इंदौर पुलिस की गिरफ्त में आ चुके है। इंदौर की विजयनगर पुलिस ने बांग्लादेश की युवतियों को देहव्यापार करवाने के मामले में दोनों आरोपियों को गुजरात के सूरत से पकड़ा है। बता दें कि इस बड़े सिंडिकेट के खुलासे के बाद पुलिस अब तक 2 दर्जन से अधिक युवतियों को इनके चुंगल मुक्त करा चुकी है। ऐसे में अब गुजरात से पकड़ाए आरोपियों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद भी है।

दरअसल, विजय नगर पुलिस ने पिछले दिनों क्राईम ब्रांच के साथ मिलकर बांग्लादेश की युवतियों को देह व्यापार के अड्डे से मुक्त करवाया था। शहर के अलग अलग क्षेत्रों से पुलिस, 20 से अधिक युवतियों को मुक्त करवा चुकी है। इसी कड़ी में पुलिस ने गुजरात के सूरत से दो आरोपियों पिंटू बंगाली और हारून सैय्यद को पकड़ा है। ये दोनों ही बांग्लादेश से युवतियों को लाकर देश के अलग – अलग राज्यों में भेजते थे। फिलहाल पुलिस दोनों ही आरोपियो से पूछताछ कर रही है। माना ये जा रहा है कि गिरफ्त में आरोपियो की निशानदेही पर अन्य स्थानों पर कई बंगाली और बांग्लादेशी युवतियों के बारे में पता लगाकर गिरोह के चुंगल से मुक्त करा सकती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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