इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के इंदौर में स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में प्रदेश के पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने हिंदू और हिंदुत्व विषय पर खुलकर अपनी बातें रखी। दिग्विजयसिंह ने ने कहा कि हिन्दू धर्म न कभी खतरे में था और न कभी खतरे में रहेगा। देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सारे मुख्यमंत्री हिन्दू हैं उसके बावजूद भी यदि हिन्दू धर्म खतरे में है तो उसके लिए हिंदुत्व जिम्मेदार है।
यह भी पढ़े…रिश्वतखोर पटवारी रंगे हाथों चढ़ा लोकायुक्त के हत्थे
राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित करते हुए दिग्विजयसिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान में वर्षों तक मुस्लिमों और ब्रिटिशों का राज रहा और भी कई धर्म आए लेकिन सनातनी हिन्दू धर्म पर कभी खतरा नहीं आया। आज हिंदुत्व के नाम पर देशवासियों का रक्तचाप बढ़ाया जा रहा है। हिंदुत्व का एकमात्र लक्ष्य हो गया है कि समाज में किस तरह कटुता और धर्मान्धता फैलाई जाए। उन्होंने कहा कि गुजरात में दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेन्द्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी, उस सलाह पर अमल किया होता तो देश के हालात आज कुछ और होते।
यह भी पढ़े…जबलपुर में पुलिस महकमे में कोरोना के केस, वही सोमवार को 242 पाज़िटिव मिले
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह सिंह ने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर ने 1923 में लिखी अपनी पुस्तक में जिक्र किया था कि हिंदुत्व का हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। पिछले दिनों जब मैंने ये बात कही तो मुझे ट्रोल किया गया, आज मैं इस कार्यक्रम में यह पुस्तक लेकर हाज़िर हुआ हूँ। वही उन्होंने ये भी कहा कि सभी धर्मों के रास्ते अलग-अलग हैं लेकिन ईश्वर एक ही है। सर्व-धर्म समभाव भारत की आत्मा है यह हमारा इतिहास है यही संस्कृति और संस्कार भी है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को राजनैतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है और मनमानी थोपी जा रही है जबकि धर्म आस्था का प्रश्न है। सभी धर्मावलंबियों की अपने-अपने धर्मों में आस्था है।
यह भी पढ़े…मध्य प्रदेश के 10 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी पदोन्नत होकर बने IPS
वही देश मे ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की बात करते हुए कहा कि पंडित मुखर्जी ने पंडित जवाहर लाल नेहरु की कैबिनेट में रहते हुए कश्मीर में धारा 370 लागू करने वाले फैसले का समर्थन किया था। इस फैसले में पं. मुखर्जी की सहमति थी। उन्होंने कहाकि आजादी से पहले हिन्दू महासभा, आर.एस.एस. के नेता गुरुजी गोलवलकर, डॉ. हेडगेवार, विनायक दामोदर सावरकर ने हिन्दू समाज की अगुवाई की और मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व किया। इन लोगों ने आजादी की लड़ाई में कभी भी महात्मा गांधी का साथ नहीं दिया बल्कि ये लोग ब्रिटिश हुकूमत के साथ चलते रहे। आज कुछ लोग स्वामी विवेकानंद के भगवा वस्त्रों का अनुसरण करके हिंदुत्व की विचारधारा लागू करना चाह रहे हैं जिसका हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के नाम पर देश में साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से नई पीढ़ी को बर्बाद किया जा रहा है। वही राज्यसभा सांसद ने कहा कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई हिन्दू इस देश में नहीं था और उनके पैर छूने के बहाने उनकी हत्या करने वाला हिंदुत्ववादी था यही आज के परिसंवाद का सार है।