इंदौर के प्रसिद्ध रोबोट चौराहे के रोबोट के साथ तोड़ फोड़, युवक बताया जा रहा मानसिक रूप से विक्षिप्त

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के खजराना थाना क्षेत्र के रोबोट चौराहे पर गुरुवार रात को सरेराह एक युवक ने प्रतीकात्मक रोबोट के साथ तोड़ फोड़ कर डाली। बेहद व्यस्त चौराहे पर हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि युवक रोबोट चौराहे पर लगे रोबोट के साथ तोड़ फोड़ कर रहा है। इतना ही नही वह उसे तेजी से हिलाकर उखाड़ने की भी कोशिश कर रहा है।

इस दौरान कई लोग मौके पर मौजूद थे और वीडियो में आ रही आवाज के मुताबिक युवक के साथ तोड़ फोड़ के दौरान मारपीट भी की गई थी। शासकीय संपत्ति के नुकसान के मामले को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे है। तोड़फोड़ मचाने के बाद युवक बाइक पर सवार होकर जाने लगा। इस दौरान वो विचलित कर देने वाली बातें भी करता सुनाई दिया।

https://twitter.com/mpbreakingnews/status/1347486116463603713

 

इधर, मामले की जानकारी लगने के बाद खजराना पुलिस युवक को थाने ले आई जहां युवक से की गई पूछताछ का एक वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल वीडियो और युवक द्वारा दी जा रही दलीलों से ये बात तो साफ हो रही है कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। लेकिन अब कोई आधिकारिक पुष्टि इस मामले को लेकर पुलिस द्वारा नही की गई है।

फिलहाल, रोबोट कांड के दो वीडियो सामने आए है जिसको देखने के बाद आप अंदाजा लगा सकते है कि युवक की मनोस्थिति क्या है और उस पर वाकई कोई कार्रवाई होनी चाहिए। वही अब सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल है जिसे लेकर शहरभर में चर्चा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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