Indore News : इंदौर में मालवा उत्सव में काफी धूम देखने को मिली। चारों तरफ रोशनी के साथ जगमगाता लालबाग बच्चों की उछलकूद, झूलों की तेज आवाजें, शिल्प बाजार में खरीदी करते कलाप्रेमी, कपड़े, साड़ी, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, क्राकरी की कलात्मक वस्तुएं, आयुर्वेदिक औषधियां, लेदर के कलात्मक पर्स, बैग, कलात्मक बंदनवार, दही जमाने के मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के फर्नीचर, कालीन से लेकर चंदेरी, काथा वर्क , महेश्वरी साड़ियां, ड्रेस मटेरियल, गोबर से बने आइटम सहित सैकड़ों शिल्पकार अपनी छटा बिखेरते नजर आए।
इस दौरान कई तरह के लोक नृत्य और अन्य प्रस्तुतियां भी दी गई। लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि आज सोमवार को मालवा उत्सव का अंतिम दिवस है। वहीं, रविवार को बड़ी संख्या में लोग लालबाग परिसर पहुंचे, जहां कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुती दी गई।
तलवार से शौर्य का प्रदर्शन
लोक संस्कृति मंच के आयोजन के लिए गुजरात से आए कलाकारों ने ढाल तलवार के द्वारा शौर्य गाथा को जीवंत बनाया। इसमें राजपूत व जनजाति के अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन था, जिसमें एक हाथ में ढाल और एक हाथ में तलवार लेकर नृत्य किया गया। यह युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद किया जाने वाला नृत्य था। इसके आलावा, केन्या अफ्रीका से 750 वर्ष पूर्व आकर गुजरात में बसे आदिवासी समूह ने “सिद्धि धमाल” नृत्य किया।
चेहरे पर विभिन्न प्रकार के रंगों से अलग-अलग आकृतियां बनाकर एवं ढोलक व कांगो की थाप पर विभिन्न भाव भंगिमाए बनाकर नृत्य किया यह एक अद्भुत अनुभव था। उन्होंने नारियल उछाल कर सिर से फोड़ने की कला का प्रदर्शन भी किया।
राम कथा की खूबसूरत प्रस्तुति
दमयंती भाटिया के निर्देशन में आरंभ कत्थक स्टूडियो द्वारा राम कथा का वर्णन, लव कुश के माध्यम से कथाकथन की शैली में कत्थक द्वारा प्रस्तुत किया गया। वहीं, कालिया दमन एवं कृष्णायन की प्रस्तुति भी समूह के कलाकारों द्वारा दी गई जबकि छंदक कला समूह द्वारा ओडीसी की प्रस्तुति दी गई इसमें कलाकारों द्वारा पहने गए परिधान में यह प्रस्तुति बड़ी खूबसूरत नजर आ रही थी।
सिंधी छेज नृत्य की प्रस्तुति रवि सीतलानी समूह द्वारा प्रस्तुत की गई, जिसमें मां – बेटे के संवाद को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में गुजरात का प्रसिद्ध डांडिया रास, निमाड़ का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर, डिंडोरी के गोंड आदिवासी समूह का करमा नृत्य, महाराष्ट की लावणी और गोंड जनजाति समूह द्वारा टिमाकी और छोटे-छोटे ढोल द्वारा गोदुम बाजा नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।
कला कार्यशाला में मधुबनी आर्ट
एकता मेहता एवं प्रोनीता लुणावत के द्वारा मधुबनी आर्ट का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को दिया गया जिसमें रंगों का प्रयोग करके कैनवास पर इस कला को बना कर दिखाया गया एवं सिखाया गया।
कार्यक्रम का अंतिम दिन आज
लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा और जुगल जोशी ने बताया कि अपरान्ह 4 बजे से शिल्प मेला प्रारंभ होगा। 8 बजे से सांस्कृतिक संध्या प्रारंभ होगी, जिसमें नौरता पंथी गरबा रास, गोधूम बाजा, कोली काठी, प्राचीन गरबा सेला आदि नृत्य होंगे एवं स्थानीय कलाकारों की भी प्रस्तुति भी होगी।
इंदौर से मंगल राजपूत की रिपोर्ट