इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। कहते है यदि हौंसलो में जान होती है तो उड़ान आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है इंदौर (Indore) की बेटी ने, अपने माता – पिता से कोसो दूर रहने के बावजूद उसने वो कर दिखाया कि माता और पिता का सर फक्र से ऊंचा हो गया है। दरअसल, मध्यप्रदेश के नीमच में रहकर जीविकोपार्जन कर रहे माता – पिता की एक बेटी जज बन चुकी है जो अब सही फैसले सुनाकर सबको न्याय दिलाएगी।
बता दें कि सिविल जज परीक्षा परिणाम आने के बाद इंदौर की वंशिता गुप्ता ने सफलता हासिल कर सभी को खुश कर दिया है। नीमच में पदस्थ कोर्ट अरविंद कुमार गुप्ता जो कि एक जज के ड्रायवर है उनकी बच्ची वंशिता गुप्ता ने सिविल जज की परीक्षा पास करते हुए 7 वीं रैंक हासिल की है। वही पिता का सपना था कि जिस तरह से जज अधिकारी को पीछे बैठाकर गाड़ी चलाते है उसी तरह उनकी बेटी जज बने और उसकी गाड़ी वो चलाये।
दरअसल, कानून की पढ़ाई करने के साथ ही जज बनने का सपना देखने वाली वंशिता गुप्ता पहले पायलट बनना चाहती थी लेकिन जब वो कोर्ट परिसर में अपने पिता के साथ जाती थी तो उन्हे लगा न्याययिक क्षेत्र में भी करियर की संभावना है। लिहाजा,10 वीं कक पढ़ाई के दौरान ही वंशिता ने लक्ष्य तय कर लिया था कि वो अब न्याय सेवा में जाएगी। वंशिता गुप्ता के मुताबिक उनके माता – पिता, न्यायपालिका परिवार और उनको गाइड करने वालो की बदौलत है कि वो अब सिविल जज बन गई है। अपने पापा का सपना पूरा करने वाली वंशिता गुप्ता ने बताया कि उनकी माँ इंग्लिश टीचर है जिसका उन्हें फायदा मिला और वो आज दिन रात मेहनत कर आज इस मुकाम तक पहुंच पाई।
इधर, बेटी के कामयाब होने के बाद जज बन चुकी वंशिता के पिता ने बताया कि वो अक्सर सोचते थे कि मैं कोर्ट में ड्रायवर के तौर पर काम कर साहब लोगो को छोड़ता हूं ऐसे में मेरा सपना था कि मैं अपने दोनों बच्चो में से किसी एक को बड़े पद पर देखूं और उनका भी ड्रायवर बनू। वंशिता गुप्ता के पिता अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि अब उनका सपना पूरा हो गया है। नीमच में रहकर मेरी पत्नि और मैंने जो सपने देखे थे वो आज साकार हो गये है। बता दे कि वंशिता गुप्ता ने इंदौर में ही रहकर पढ़ाई की और यही से उन्होंने एग्जाम क्रेक भी की है लिहाजा,अब परिवार, रिश्तेदार और जज बन चुकी बेटी के पिता के सारे हमदर्द खुश है।
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Amit Sengar
मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।
वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”