इंदौर निगमकर्मी ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखा- मैं अब जीना नहीं चाहता क्योंकि

Pooja Khodani
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INDORE

इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर (Indore) में यूं तो लॉक डाउन के साइड इफेक्ट (Side Effect) लूट सहित अन्य अपराधों के रूप में पहले भी सामने आये है लेकिन रविवार (Sunday) को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे शहर में हड़कम्प मचा दिया।यहां लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान कोरोना वारियर्स के तौर पर काम करने वाले एक निगमकर्मी को लोगो के ताने इतने नागवार गुजरे कि उसने जीने की राह की बजाय मरने का रास्ता चुना और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

दरअसल, घटना इंदौर के सुभाष नगर पानी की टन्की की है जहां रविवार सुबह एक निगमकर्मी (Municipal-Employee) की लाश पड़ी मिली। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। जिसके बाद आशंका जताई जा रही थी कि निगमकर्मी ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली है। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस (Indore Police) पहुंची तो एक सुसाइड नोट (Suicide Note) मृतक के पास मिला। जिसमे एक कर्मचारी द्वारा की गई मेहनत का दर्द छिपा था और सुसाइड नोट अहसास करा रहा था कि कभी कभी दुनिया की अवहेलना अच्छे खासे व्यक्ति का सामना मौत से करा देती है।

मिली जानकारी के मुताबिक , मृतक निगमकर्मी का नाम जितेंद्र पिता बाबूलाल यादव (Jitendra Yadav) निवासी कुलकर्णी का भट्टा है जो सुभाष नगर पानी की टँकी पर वाल्व मेन के पद पर पदस्थ था। पुलिस को मृतक के पास से सुसाइड नोट मिला है जिसमे मृतक निगमकर्मी ने लिखा है कि उसने कोरोना काल मे लॉक डाउन के दौरान जमकर मानव सेवा की है बावजूद इसके कुछ लोग नीचा दिखाने की कर रहे है। इसलिए वो जीना नही चाहता और भगवान उन लोगो को भी खुश रखे जो उसे नीचा दिखा रहे है।

बेहद भावुक सुसाइड नोट के सामने आने के बाद पुलिस ने घटना की जानकारी दी और बताया कि मृतक डिप्रेशन में था और लॉक डाउन में की गई मेहनत का प्रतिफल उसे नही मिला ऐसे में मृतक कीटनाशक (Poison) पीकर जान दे दी। परदेशीपुरा थाना के उपनिरीक्षक अजय सिंह कुशवाह (Sub Inspector Ajay Singh Kushwaha) ने बताया कि मृतक के परिजन किसी कार्यक्रम में सम्मिलित होने ग्वालियर (Gwalior) गए हुए थे और मृतक निगमकर्मी जितेंद्र यादव कल रात से ही गायब था। वही पुलिस को ये भी जानकारी मिली है मृतक की रात 2 बजे किसी दोस्त कई बार बात हुई है। फिलहाल, पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

बता दे कि इंदौर में एक कोरोना वारियर्स की जिंदगी का इतना दुःखद चर्चा का विषय बना हुआ है वही पुलिस की जांच की रडार पर वो लोग भी जो मृतक को नीचा दिखाने की कोशिश करते थे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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