मास्क नहीं लगाने को लेकर हुए विवाद में निगमकर्मी की गई नौकरी तो पुलिसकर्मी भी हुए निलंबित

इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में मंगलवार को हुए मास्क को लेकर नगर निगम की चालानी कार्रवाई को लेकर हुए विवाद में आज निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने निगमकर्मी अजीत उर्फ सोनू कल्याणे को बर्खास्त कर दिया है। वहीं एसपी सूरज वर्मा ने प्रधान आरक्षक सईद खान को निलंबित कर दिया है। दोनों के बीच हुए विवाद और गाली-गलौच का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था।

विवाद का वीडियो सामने आने के बाद संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने नाराजगी जताई और नगर निगम और पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की थी। दोनो के बयान और जांच के बाद शुक्रवार को कार्रवाई की गई। निगमायुक्त पाल ने बताया कि निगमकर्मी कल्याणे ने जिस तरह की भाषा का उपयोग किया, उससे निगम की छवि खराब हुई है। अब संभागायुक्त ने सभी विभागों को हिदायत दी है कि समन्वय से काम करें और भविष्य में ऐसी विवाद की स्थिति न बने। मामले में कार्रवाई होने के बाद आजाद नगर थाने में दर्ज एफआईआर में खात्मा किया जा रहा है।

ये था पूरा मामला

दरअसल , मंगलवार दोपहर मूसाखेड़ी चौराहे पर नगर निगम की टीम मास्क न पहनने वालों के खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रही थी। इसी बीच पुलिस की डीआरपी लाइन शाखा में पदस्थ हेड कांस्टेबल सईद खान वहा से एक्टिवा से गुजरे। मास्क न होने पर निगमकर्मी ने उन्हें दादागिरी करते हुए रोका। बदसलूकी से पेश आने पर हेड कांस्टेबल ने निगमकर्मी से ठीक से बात करने को कहा तो दोनों में विवाद काफी बढ़ गया और दोनों के बीच जमकर गाली-गलौज हो गई। इस पर निगमकर्मी ने सरेराह हेड कांस्टेबल को धक्का दे दिया, जिसके बाद कार्रवाई कर रहे सहकर्मियों ने पुलिस जवान की गाड़ी की चाबी निकाल ली। मामले में हेड कांस्टेबल ने आजाद नगर पुलिस को निगमकर्मी के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज का केस दर्ज करवाया था।

 


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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