इन्दौर डेस्क रिपोर्ट।आकाश धोलपुरे-आमतौर पर यह माना जाता है कि कोरोना से बचाव के लिए रेमडेसिवीर का इंजेक्शन रामबाण है और इसीलिए कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच लोगों में इसे स्टॉक करने की प्रवृत्ति ने मार्केट से इसे गायब कर दिया है। इंदौर में शनिवार को डॉक्टरों ने बताया कि किन मरीजों को रेमडेसिवीर का इंजेक्शन की जरूरत होती है|
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पूरे प्रदेश में इस समय रेमडेसिवीर का इंजेक्शन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है ।इंदौर में तो हालात बेकाबू है और एक 800 से 15 सो रुपए वाले इंजेक्शन के लिए लोग 15 से 20 हजार रू देने को तैयार है। बावजूद इसके रेमडेसिवीर का इंजेक्शन मिल नहीं रहा। शनिवार को मध्य प्रदेश की सरकार ने रेमडेसिवीर का इंजेक्शन की उपलब्धता के लिए बड़े कदम उठाएं और नवागंतुक ड्रग कंट्रोलर पी नरहरि ने शनिवार को ही इंदौर में 5000 रेमडेसिवीर का इंजेक्शन भिजवाने की व्यवस्था की। इसके साथ ही एक सप्ताह के भीतर पूरे प्रदेश में 85000 रेमडेसिवीर का इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएंगे।
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तो क्या वास्तव में रेमडेसिवीर का इंजेक्शन की शॉर्टेज है ।शायद नहीं, बल्कि बल्कि इसकी वजह आम व्यक्ति के भीतर यह गलतफहमी होना है कि रेमडेसिवीर का इंजेक्शन कोरोना का रामबाण है और इसीलिए इसे लोग घर पर भी लेकर रख रहे हैं। इंदौर में शनिवार को डॉक्टरों ने इस बारे में खुलासा किया कि रेमडेसिवीर का इंजेक्शन कब और क्यों लगता है।कोरोना इलाज में रामबाण माने जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन में लगातार आ रही कमी और ऑक्सीजन की सप्लाय में आ रही कमी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर एमजीएम कालेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित व अरविन्दो अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया कि शहर में पिछले तीन – चार दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर शार्टेज आ रही है जिसकी वजह है जागरूकता का अभाव और मरीजो के परिजन के द्वारा इंजेक्शन को स्टॉक किया जाना। अरविंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ विनोद भंडारी ने बताया रेमडेसिवीर का इंजेक्शन 30% से ज्यादा लंग्स इंस्फेक्शन होने पर लगाने की जरूरत है जो वर्तमान में कई जगह पर पांच परसेंट और दस परसेंट पर लगाया जा रहा है। कई ऐसे डॉक्टर जो मरीज को भर्ती नहीं कर रहे हो वह भी रेमडेसिवीर का इंजेक्शन के लिए लोगों को लिख रहे हैं। डॉक्टर भंडारी का कहना है कि यह इंजेक्शन काउंटर पर बिकना ही नहीं चाहिए था। डॉ. भंडारी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन का विकल्प इम्युनिसिन अल्फा इंजेक्शन और फेबिब्ल्यु 800 टेबलेट को बताया। रेमडेसिवीर का इंजेक्शन की नई गाइडलाइन में अब केवल उन लोगों को जो उस सीवियर पोजीशन में है या जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 92% से कम है उन्हीं को रेमडेसिवीर का इंजेक्शन देना है।
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वही प्रेस कांफ्रेंस में डॉक्टर्स ने डे केयर में इलाज के अलावा अस्पतालों को ऑक्सीजन के वेस्टेज रोकने के लिए सुपरवाइज करने वाली टीम को रखने को कहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक जिस मरीज को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है उतनी ही दी जाए साथ ही शहर में बेड की कमी को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के डॉक्टर ने सुझाव दिए है कि जिन कोरोना संक्रमित मरीजो इलाज के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत नही है उन्हें दो से तीन दिन में छुटी देना चाहिए ताकि दूसरे गंभीर मरीजो को बेड मिल सके।
वही एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि बीते 2 दिनों में एमजीएम को 2 – 2 हजार इंजेक्शन मिले है जिसे जरूरी के हिसाब से प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजो को भेजा गया है वही आज 5 हजार इंजेक्शन मिले है उसे भी प्रदेश के मेडिकल कालेजों और उनसे जुड़े एसोसिएट्स अस्पताल को दिया जाएगा। फिलहाल, डॉक्टर्स द्वारा ली गई प्रेस कांफ्रेंस में आम जनता के मन से घबराहट दूर करने की कोशिश के साथ ही ये बताने का प्रयास किया गया देश के अन्य शहरों जैसी स्थिति इंदौर की न हो इसके लिए सभी प्रयासरत है।