जबलपुर: जागरूकता की कमी, कोरोना वैक्सीन के ड्राइ रन में महिला स्वास्थकर्मी ही नहीं हुई शामिल

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। कोविड 19 वैक्सीन को लेकर ड्राई रन में ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। ताजा मामला जबलपुर में देखने को मिला है, जहां वैक्सीन के ड्राई रन के दौरान ही एक महिला स्वास्थ्यकर्मी ने अपनी आपत्ति जाहिर की है।

जिला अस्पताल से डयूटी के लिए आया मेसेज

जबलपुर शहर के लेडी एल्गिन अस्प्ताल में पदस्थ सुनीता विलयम्स के पास गुरुवार की शाम जिला अस्पताल से मैसेज आता है, जिसके बाद जब सुनीता आज अस्पताल पहुँचती है तो उसे कोरोना वैक्सीन की मौक ड्रिल में शामिल होने कहा जाता है, जिसके लिए वह साफ मना कर देती है। सुनीता कहती है जिला अस्पताल से उसे जो मैसेज आया था वह शायद ड्यूटी के लिए होगा, यही सोचकर वह अस्पताल पहुंची थी।

अभी वैक्सीन को लेकर लग रहा है डर,बाद में लगवाएंगे

जब एक महिला स्वास्थ्यकर्मी ड्राई रन में ही वैक्सीन लगवाने को तैयार नही है तो फिर आम जन में इस वैक्सीन को लेकर क्या चल रहा होगा। आज के  वाक्या से ही अंदाजा लगाया जा सकता है,महिला स्वास्थकर्मी ने अपने डॉक्टरों से साफ लहजे में कह दिया है कि वह अभी वैक्सीन नहीं लगवाएगी, जबकि बार-बार उन्हें समझाया जा रहा था कि ये सिर्फ मोक-ड्रिल है।

स्वास्थ्य विभाग वैक्सीन को लेकर नही कर पा रहा है जागरूक

कोरोना वायरस की वैक्सीन ड्राई रन में बार-बार लोगों को बताया जा रहा था बावजूद इसके जागरूकता की अभी भी कमी देखी जा रही है। जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ संजय जैन ने महिला स्वास्थ्यकर्मी को इस ड्राई रन को लेकर खबू समझाया पर वह नहीं मानी, डॉ संजय जैन कहते है कि आज सिर्फ मोक ड्रिल हुआ है वैक्सीन की ट्रायल है पर लोग समझने को तैयार नही है। शुरुआती चरण में ही स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगना है पर इस वैक्सीन को लगवाने से अभी स्वास्थ्यकर्मी ही पीछे हट रहे है। ऐसे में जरूरत है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करे और ये बताए कि वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट नहीं है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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