अवैध हथियारों का जखीरा बरामद, घर में हथियार बनाकर सप्लाई करता था आरोपी

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। दीपावली पर्व के ठीक 4 दिन बाद जबलपुर पुलिस ने अवैध हथियारों के जखीरे को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है, जबलपुर शहर के ठक्कर ग्राम से हथियारों का यह जखीरा पुलिस ने बरामद किया है। बताया जा रहा है कि आरोपी शाहनवाज अंसारी लंबे समय से अवैध हथियारों को बनाकर उसे बेचने का काम किया करता था।

एयर गन,तलवार, चाकू भी बरामद

मुखबिर की सूचना पर गोहलपुर सीएसपी अखिलेश गौर के नेतृत्व में हनुमानताल थाना पुलिस ने शहनावज अंसारी के ठक्कर ग्राम स्थित घर पर जब दबिश दी तो पुलिस को वहां से हथियारों का एक बड़ा जखीरा बरामद हुआ,पुलिस ने आरोपी शहनवाज अंसारी के घर से एक एयर गन, 6 तलवार,6 बका, कुल्हाड़ी,चाकू और ड्रिल मशीन सहित हथियार बनाने के औजार भी बरामद किए हैं।

पुलिस पूछताछ में हो सकता है बड़ा खुलासा

गोहलपुर सीएसपी अखिलेश गौर के मुताबिक आरोपी शहनवाज अंसारी से बरामद किए गए हथियारों को लेकर उससे पूछताछ की जाएगी साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि आखिर अभी तक शहनवाज ने किन-किन लोगों को यह अवैध हथियार बेचे हैं। कहा जा सकता है कि इन अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त को लेकर कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं जो कि अपराध जगत में लिप्त हो।

घर पर ही हथियार बनाता था

जानकारी यह भी मिली है कि आरोपी शहनवाज अपने घर पर ही अवैध हथियार बनाकर के मुँह मांगे दाम पर बेचा करता था,यही वजह है कि आरोपी के घर से पुलिस को अवैध हथियार का जखीरा बरामद हुआ है,फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ करने में जुटी हुई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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