Jabalpur News : सूदखोरों से परेशान व्यक्ति ने की आत्महत्या, पीछे छोड़ा सुसाइड नोट

Amit Sengar
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जबलपुर,संदीप कुमार। मध्यप्रदेश सरकार भले ही सूदखोरों पर लगाम लगाने की बात कह रही हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मामला है जबलपुर के मानेगांव में रहने वाले एक युवक का जिसने सूदखोर से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। युवक का नाम राकेश सिंह था जो कि चाय की दुकान चलाता था।

Jabalpur News : सूदखोरों से परेशान व्यक्ति ने की आत्महत्या, पीछे छोड़ा सुसाइड नोट

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हम आपको बता दें कि सूदखोर किसी को समस्‍या से निकालने के लिए नहीं बल्कि अपने धन को दोगुना-तीनगुना करने के लिए कर्ज का धंधा चलाते हैं। लाभ कमाना उनका मकसद होता है। इसी लाभ ने एक बहन के भाई को मौत के घाट उतार दिया। ज्ञातव्य है कि मृतक राकेश की बहन ने मीडिया को बताया कि उसके भाई की चाय की दुकान है। इसी दुकान पर उसका एक दोस्त अभिषेक शुक्ला भी आया करता था। उसे 10 हजार रु की आवश्यकता थी। तो मृतक राकेश सिंह ने अपने दोस्त की मदद करने के लिए सूदखोर सुनील सोनकर से 20 हजार रु लिए और 10 हजार अभिषेक को दे दिए। सूदखोर सुनील सोनकर ने एक साल में ही 20 हजार रु पर ब्याज 1 लाख रु कर दिए। इसी रुपये को लेकर राकेश को सुनील लगातार परेशान कर रहा था। सुनील ने रुपये के लिए राकेश के साथ अभद्र व्यवहार किया, जिसको लेकर वह काफी परेशान भी रहने लगा था।

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बता दें कि मृतक राकेश की बहन रीता के मुताबिक उसने ग्रमीण बैंक से 5 लाख रु का लोन लिया था। और फिर वह रुपये अपने दोस्त सचिन सराठे को दिए थे। लेकिन सचिन हर बार रुपये देने से कतरा रहा था। वही अभिषेक भी उधार रुपये राकेश को नही दे रहा था। ऐसे में सूदखोर सुनील सोनकर की धमकी और दोस्तो के द्वारा रुपये वापस न करने से राकेश परेशान हो गया लिहाजा उसने घर पर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

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दरअसल, सूदखोर सुनील सोनकर और अपने दो दोस्त सचिन सराठे-अभिषेक शुक्ला से परेशान होकर आत्महत्या का कदम उठाने वाले राकेश सिंह ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमे इनका नाम और कितने रुपये लेने है वह भी लिखा है,राकेश से रु लेने के बाद सचिन ने उसे 5 लाख रु का चेक भी दिया था इसके अलावा नोटरी भी की गई है,राकेश की मौत के बाद रांझी थाना पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों को सौप दिया है। वही रीता के बयानों के आधार पर जाँच शुरू कर दी है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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