जबलपुर, संदीप कुमार। देश भर की केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों का आने वाले समय मे निजीकरण होना है। लगता है इसकी शुरुआत हो चुकी है। वायु सेना को अभी तक जो बम देश की सुरक्षा संस्थान बना कर देते थे, उसपर अब रोक लग गई है। वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखकर बमों की सप्लाई पर रोक लगा दी है जिसके बाद आम फैक्ट्री में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों के रोजगार पर संकट के बादल छा गए हैं। वायु सेना ने शहर की दो फैक्ट्री ऑर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया और ग्रे आयरन फॉउंड्री से शक्तिशाली “एरियल बम” की सप्लाई पर रोक लगा दी है।
वायुसेना ने सुरक्षा संस्थान से छीना 50 करोड़ का काम
भारतीय वायु सेना ने जबलपुर शहर की आयुध निर्माणी खमरिया और ग्रे आयरन फाउंड्री में बनने वाले 100 से 120 किलोग्राम के एरियल बमों की सप्लाई बीच में ही रोक दी है। ऐसे में बमों की सप्लाई रुक जाने से दोनों ही फैक्ट्रियों को वित्तीय वर्ष 2020 21 में करीब 50 करोड़ का घाटा होना सुनिश्चित बताया जा रहा है। ग्रे आयरन फाउंड्री में एल्बम ओ की बॉडी की ढलाई होती है जबकि ऑडनेंस फैक्ट्री खमरिया में बमों की बॉडी में बारूद भरने का काम किया जाता है। वायु सेना की रोक से निर्माणों के जिन सेक्शन में यह बम बनाने का काम हो रहा था, उसे बीच में ही बंद कर दिया गया है। वहीं ग्रे आयरन फाउंड्री पर इस उत्पादन के बंद हो जाने से एक बड़ा संकट गहरा गया है। खास बात यह है कि ग्रे आयरन फाउंड्री का मुख्य काम एरिया की बॉडी का बनाना ही होता था, पर अब जबकि वायु सेना ने सप्लाई पर रोक लगा दी है तो फ्री में काम करने वाले कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट आ गया है। कर्मचारी बताते हैं कि एरियल बमों की सप्लाई का वायु सेना के द्वारा रोका जाना एक सुनिश्चित प्लान था क्योंकि केंद्र सरकार सेना से जुड़े तमाम कामों को निजी कंपनियों के हाथों सपना चाह रही है। कहा जा रहा है कि निजीकरण का यह पहला रास्ता है जबकि एक बड़ा उत्पादन का लक्ष्य निजी हाथों में वायु सेना सौंप रही है।
फैक्ट्रियों में मशीनों का चलना हुआ बंद
ग्रे आयरन फॉउंड्री में कल तक जहाँ मशीनों की खट-खट सुनाई देती थी, वह आज बंद हो गई है। वहीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया के सेक्टरों में सीरियल बम में बारूद भरने का काम भी बंद कर दिया गया है। इस निर्माणी के भरण सेक्शन के कर्मचारियों को अब जल्द ही दूसरे सेक्शन में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। ग्रे आयरन फॉउंड्री फैक्टरी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 मई वायुसेना के लिए 100 से 120 किलोग्राम के एरियल बमों के करीब 15 सौ से अधिक बॉडी बनाने का काम किया है। निर्माणी को इस वित्तीय वर्ष में लगभग 2000 एरियल बम बनाने का टारगेट मिला था लेकिन अचानक ही वायु सेना के उत्पादन पर रोक लगाने से प्रबंधन अब परेशान हैं।
निजी कंपनियों से अच्छा उत्पादन करता है सुरक्षा संस्थान
पूरे देश में करीब 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थान है जो कि थल सेना, वायु सेना और जल सेना के लिए आधुनिक और हथियार बनाने का काम करते हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार के इशारे पर धीरे-धीरे इन तमाम सुरक्षा संस्थानों में घाटा दिखाकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य अरुण दुबे बताते हैं कि वायु सेना के लिए हर साल फैक्ट्री एरिया अल्बम बनाया करती थी, जितना भी वायु सेना का टारगेट होता था उसको पूरा भी किया गया। पर इस साल वित्तीय वर्ष 2020 में अचानक ही वायुसेना ने एरियल बमों के बनाने का काम सरकारी फैक्ट्रियों से छीनकर बिजी फैक्ट्रियों को सौंप दिया है।
12 अक्टूबर से देश भर की सुरक्षा संस्थानों में होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी का कहना है कि केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों का निगमीकरण ना हो इसको लेकर लगातार सरकार से बात भी की गई पर सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है। आज निगमीकरण की शुरुआत है कि वायु सेना ने एरियल बम बनाने का काम सरकारी फैक्ट्री उसे छीन कर निजी फैक्ट्रियों को दिया है। ऐसे में अब देशभर के फैक्ट्रियों में पदस्थ कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। लिहाजा देश की तीनों फेडरेशन बीपीएमएस एआईडीईडब्ल्यूएस और आईएनडीडब्ल्यूएफ ने मिलकर ऐलान किया है कि आगामी 12 अक्टूबर से देश की तमाम 41 सुरक्षा संस्थानों में काम बंद कर कर्मचारी हड़ताल पर अनिश्चितकालीन के लिए चले जाएंगे।
सरकारी फेक्ट्रियो का निजीकरण हुआ तो भू माफिया हो जाएंगे सक्रिय
देश के अलग अलग राज्यो में कुल 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थान है, इन संस्थानों के पास हजारों एकड़ बेशकीमती जमीनें भी हैं। ऐसे में साफ तौर पर अगर फैक्टरी निजी हाथों में जाती है तो फिर फैक्टरी की जमीनें भू माफियाओं के कब्जे में चली जाएगी। बहरहाल अब जबकि केंद्र सरकार ने देश भर की 41 सुरक्षा संस्थानों के निगमीकरण की तैयारी जहाँ कर ली है, वही अब कर्मचारियों ने भी केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है।