पैरोल पर छूटे कैदियों को लेकर नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई थी आपत्ति, अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जबाब

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जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना संक्रमण महामारी के चलते समूचे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में हत्या और रेप के आरोपियों को हाईकोर्ट (High Court) के दिशा निर्देश पर पैरोल (parole) में छोड़ दिया गया था। इस मामले पर मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेल एक्ट में संशोधन किया गया था। जिसमें सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को पेरोल पर छोड़ने का प्रावधान है।

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हाई कोर्ट के आदेश पर ही छोड़ा गया था पैरोल में कैदी
पैरोल में जेल से बाहर आए कैदियों को लेकर राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र कोर्ट के ही आदेश पर कैदियों को पेरोल पर छोड़ा गया था ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जा सके और कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण रखा जा सके।

नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई आपत्ति
सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति ली गई है कि पेरोल पर कैदियों को छोड़ने से पहले उनके अपराध की गंभीरता के मद्देनज़र श्रेेणी बनाई जानी चाहिए थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अगर जेलों में कैदियों की संख्या इतनी ज्यादा है तो प्रदेश में जेलों की संख्या बढ़ाकर उनकी क्षमता बढाई जानी चाहिए और महिलाओं के लिए अलग जेल बनाई जानी चाहिए। याचिकाकर्ता की इस मांग पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 25 अगस्त तक जवाब मांगा है।

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Harpreet Kaur

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